Book Title: Tadpatra Pandulipi Bachaye
Author(s): Anupam Shah
Publisher: Indian Council of Conversation Institutes

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . उपसहार हम अपनी पाण्डुलिपियों के विषय में यदि थोड़ा सा चिन्तन करें, तो शायद हम इनकी ज्यादा अच्छी देखभाल कर सकेंगे । अपने घरों मे पाण्डुलिपियों की अवस्था ज्यादा अच्छी होती है क्योंकि उनको व्यक्तिगत यत्न से रखा जाता है। संस्थाएँ जो हजारों की संख्या में पाण्डुलिपियों का संग्रह करती हैं। उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि उनका निरंतर देख रेख भी करें । ऐसी संस्थाओं को सहारा देना हम सब का कर्तव्य है। यदि आपके पास कोई पाण्डुलिपि संरक्षण सम्बन्धित प्रश्न या सुझाव हो, तो कृपया हमे इस पते पर अवश्य लिखें। इण्टैक इण्डियन कञ्जर्वेशन इंस्टीट्यूट उड़ीसा कला संरक्षण केन्द्र उड़ीसा राज्य संग्रहालय परिसर भूवनेश्वर : ७५१०१४, उड़ीसा दूरसंचार : (०६७४) ४३२६३८ फैक्स : (०६७४) ४३२६३८, ५३०५९९ ई-मेल : <icioacc@sancharnet.in अथवा परपृष्ठ पर लिखे हुए किसी भी संरक्षण केन्द्र से संपर्क करें । हम कलाकृतियों के संरक्षण संबन्धित अल्पकालीन कार्यशालाओं का तथा दीर्घकालीन प्रशिक्षण का आयोजन करते हैं। संग्रहों की अवस्था की उन्नति के लिए हम सहायता भी करते हैं। इण्टैक भारतीय सांस्कृतिक निधि (इण्डियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज) हमारी प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक घरोहर के संरक्षण के लिए इण्टैक, एक स्वयंशासित अनुष्ठान, की १९८४ में स्थापना करी गई थी। यदि किसी व्यक्तिगत कार्यवाही अथवा सरकारी नीति से इस घरोहर को क्षति होने की आशंका होती है, तो इण्टैक अपने सदस्यों के सहभगिता से इस धरोहर के संरक्षण के लिए जनजागरूकता पैदा करती है, तथा दबाव-समूह के रूप मे कार्य करती है । इण्टैक संरक्षण परियोजना; पारम्परिक कला तथा कारिगरि संरक्षण, कार्यशाला, प्रशिक्षण, सभा, भाषण आदि का आयोजन तथा संरक्षण सम्बन्धित प्रकाशन भी करती है। 16 For Private and Personal Use Only

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