Book Title: Tadpatra Pandulipi Bachaye
Author(s): Anupam Shah
Publisher: Indian Council of Conversation Institutes

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुण्Y OGASHANT . प्राक्कथन CDS1003207 भारतवर्ष में कागज के आगमन के पूर्व, मुख्यतः तटवर्ती प्रदेशों में, ताड़ पत्र पर लिखाई की जाती थी। श्रीलंका, थाईलैण्ड, बर्मा, लाओ, इंडोनेशिया इत्यादि देशों में भी ताड़पत्र का प्रयोग करा जाता था । फलस्वरूप हमारे पास लाखों पाण्डुलिपियाँ विरासत के रूप में आज उपलब्ध हैं । इनको जीर्ण-शीर्ण होने से बचाना हमारा कर्तव्य है। यदि हम कुछ सरल नियमों तथा पूर्वप्रबन्धों का पालन करें, तो ताड़पत्र पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लक्ष्य की पूर्ति हो सकेगी। अनुपम साह द्वारा लिखित इस पुस्तिका में ताड़पत्र पाण्डुलिपियों को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाने के सिद्धान्त वर्णित हैं । हम आशा करते हैं कि भारतवर्ष में ही नहीं, अन्य देशों में भी यह पुस्तिका ताड़पत्र पाण्डुलिपियों का संरक्षण करने में सहायक सिद्ध होगी। हमे ताड़पत्र पाण्डुलिपि संरक्षण अभियान में नोराड (नार्वे), तथा जापान फाऊंडेशन एशिया सेंटर ने बहुत सहायता करी है। हम उनके आभारी हैं। ओ. पी. अग्रवाल महानिदेशक इण्डियन काउन्सिल ऑफ कञ्जर्वेशन इंस्टीट्यूट्स लखनऊ For Private and Personal Use Only

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