Book Title: Tadpatra Pandulipi Bachaye
Author(s): Anupam Shah
Publisher: Indian Council of Conversation Institutes

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हम इन पाण्डुलिपियों की रक्षा कैसे करें ? १. जब पाण्डुलिपि प्राप्त करें तो उसे संग्रहित पोथियों के साथ न रखें । क्योंकि अगर उसमे फफूँद या कीड़े होंगे, तो यह आपके संग्रह में फैल जायेंगे । ऐसी नई पाण्डुलिपि को ब्रुश से साफ कर, कीट रहित करें और एक महीने बाद फिर जाँच करके ही संग्रह में रखें । २. काठ के पट्ठों के सूक्ष्म छेदों से बुरादा निकलना काक्रमण का प्रतीक है । ऐसे पट्टों को कीट रहित करें अथवा बदल दें । ३. ऐसे न बाधें । ४. पत्रों को पठ्ठों के बीच सुतली से कसकर सामान दाब देकर बाँधें । ५. पाण्डुलिपियों को अनुशासित रूप से बंद अलमारी या बक्से मे रखें । 10 ६. पाण्डुलिपि को मोटे सूती कपड़े में लपेटकर रखें । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७. महत्वपूर्ण पाण्डुलिपियों को छोटे, सबल बक्सों में रखें जिन्हें आपातकालीन स्थिति उभरने पर पूर्वनिश्चित सुरक्षित स्थान पर आसानी से ले जाया जा सके । ८. पत्रों को पढ़ते समय ध्यानपूर्वक पलटें । ९. पत्रों पर कलम से निशान न डालें । १०. संग्रहित पाण्डुलिपियों का प्रलेखन तथा प्रकाशन होना चाहिए । पढ़ने के लिए पाठकों को मौलिक पाण्डुलिपियों के बदले उसकी प्रतिलिपि अथवा माईक्रोफिल्म देनी चाहिए। पाण्डुलिपियों की अवस्था विवरणी संरक्षण विशेषज्ञों द्वारा तैयार करवानी चाहिए । ik Shahatan... ११. क्योंकि अधिक क्षति भण्डारघर में होती है, इसलिए नियमित निरीक्षण कर अधिकारियों को हुए नुकसान से अवगत कराना चाहिए, ताकि वह उपयुक्त कार्यवाही कर सकें। For Private and Personal Use Only १२. किसी एक पर पाण्डुलिपियों के देखभाल की जिम्मेदारी सौंपें ।

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