Book Title: Swadeshi Chikitsa Part 01 Dincharya Rutucharya ke Aadhar Par
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ तत्काल का दूहा हुआ धारोष्ण लाभकर होता है । किन्तु यदि वह धारा से शीत हो तो उसका सेवन नहीं करना चाहिए। भैंस का दूध धारोष्ण सेवन नहीं करना चाहिए । शीतल होने पर इसका सेवन किया जाता है। जैसा कि - धारोष्ण गो पयो वल्यं, धाराशीतच्च माहिषम् । बताया है युक्ति पूर्वक पकाने का तात्पर्य यह है कि आधाजल और आधा दूध एक साथ पकाया जाय और जब केवल दूध मात्र रह जाय तो उसका सेवन लाभकर होता है। बिना जल के दूध को अधिक मात्रा में पकावा जाय और वहा गाढ़ा हो जाय तो वह अधिक भारी होता है। दूध गरम कर ठण्डा होने पर पित्त विकार में तथा गरम दूध कफ वात जन्य विकार में लाभकर होता है। अतः तिस दोष धातु, औश्र ममल के अनुकूल जो रसादि होते हैं उसे वर्द्धक, और जो प्रतिकूल होते हैं उनका नाशक होता है । मादक दही उसे कहते हैं जो दूध अपनी अवस्था को छोड़कर गाढ़ा हो जाय, पर पूर्ण गाढ़ा न हो और उसमें अम्लता न हो, अर्थात् अधजमा दही इसका सेन सर्वथा अर्जित है। तक्रं लघु कषायाम्लं दीपनं कफवातजित् ।। शोफोदरार्शो ग्रहरणीदोषमूत्रग्रहारूचीः । प्जलीहर्ल्मघृतव्यापद्गरपाण्ड्वामयाञयेत् । अर्थ : तक्र का गुण - तक्र गुण में लघु, रस में कषाय और अम्ल, अग्नि दीपक, कफ एवं वात शामक होता है। सेवन करने से, शोथ, उदर रोग, अर्श, ग्रहणीरोग, मूत्रावरोध, भोजन में अरूचि, प्लीहा की वृद्धि, गुल्मरोग, घृत पान जन्य उपद्रव, गर विषजन्य उपद्रव ओर पाण्डुरोग को दूर करता है। विश्लेषण : अम्लरस विपाक गुण युक्त दही का तक्र बना कर सेवन करने पर वही दही विशेष गुण युक्त होकर अनेक रोगों में लाभकर माना है, विशेषकर उदर सम्बन्धि रोगों में- और बताया भी है । न तक्र सेवी व्यथते कदाचित्, न तक्र, दग्धा प्रथवन्ति रोगा यथा सुराणाममृतं सुखाय, तथा नराणां भुवि तक माहु, इस प्रकार गुण युक्त तक्र को भी सभी रोगों में प्रयोग करना वर्जित किया हैं, यथा नैव तक्रं क्षते दद्यात्, नोष्णकाले न दुर्बलैः । न मूर्च्छाग्रम दाहेशु न रोगे रक्त पंत्तिके ।। अर्थः यह तक भन्दक दधि (अथ जमा) से भी बनाया जाता है, पर उसक सेवन सर्वथा वर्जित है, वात जन्य रोगों में सेंधा नमक मिलाकर अम्लत कृमि जन्य रोगों में चीनी मिला हुआ मधुर तक्र, कफ जन्य रोग में सोंठ मरिच 66

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130