Book Title: Swadeshi Chikitsa Part 01 Dincharya Rutucharya ke Aadhar Par
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 111
________________ है। दूसरा प्याज श्वेत वर्ण का होता है। श्वेत वर्ण का प्याज अधिक तीक्ष्ण और अधिक उष्ण होता है। सम्भवतः यह श्वेत पलाण्डु का वाचक हैं। इसका प्रयोग वात कफज अर्श में स्वेदन और भक्षण के काम में आता है। विशेषकर ध्वजभंग में इसके स्वरस का मर्दन करने से लिंग में शक्ति शीघ्र आ जाती है। भूकन्द का गुण अति दोषल बताया गया है। भूकन्द को जिमिकन्द कहते है। सामान्यतः यह शब्द सूरन के लिए प्रयुक्त होता है। सूरन के दो प्रकार पाये जाते हैं एक वह जिसमें कन्द के ऊपर ठोढी पायी जाती है और उसके रस का हाथ या त्वचा पर स्पर्श हो जाय तो तीव्र कण्डू हो जाती है। यदि उसका शाक खाया जाय तो मूख में कडू एवं काटने से पीड़ा होती है। दूसरा गोला चिकना और आकार में बड़ा पाया जाता है। यह न कण्डू उत्पन्न करता है और न इसका शाक मुख या गले को काटता है। सूरण से बड़ा आकार वाला और भूकन्द से छोटा और ठोठी वाला का ग्रहण किया जा सकता है। पत्रे पुष्पे फले नाले कन्दे च गुरूता क्रमात् ।। अर्थ : यहाँ शाक वर्ग का उल्लेख करते हुए पत्र, पुष्प, फल, नाल और कन्द इन. पांच प्रकार के शाकों का वर्णन किया गया है। इसमें पत्र से पुष्प, पुष्प से फल, फल से नाल, नाल से कन्द, को भारी बताया है। विश्लेषण : भाव मिश्र ने-पत्रं पुष्पं फलंनालं कन्दं संस्वेदजं तथा शाकंषड् विधमुद्दिष्टं गुरूविद्यात् यथोतरम्। से छ: प्रकार के शाकों का वर्णन किया गया है। भूककन्द का ऊपर जो निर्देश किया गया है सम्भवतः उसे संस्वेदज ही माना है। वर्षा ऋतु में जब भूमि से कुकुरमुते निकलते हैं तो उसका ही ग्रहण किया है। सर्वांगं सुन्दरी तथा पदार्थ चन्द्रिका टीका में स्फोटाख्यः प्राविड्उद्भवः हेमाद्रि में भूस्फोटः से स्पष्ट प्रतीत होता है कि वह कुकुरमुत्ते को ही भूकन्द से ग्रहण करते हैं। भाव मिश्र ने छठाँ नाम संस्वेदज का लिया है और उसे सबसे गरिष्ठ माना है और यहां उसे अति दोषल कहा गया है। संस्वेदज अधिक निन्दित है अतः उसे अग्राहय बताते हुए शाक के पांच ही भेदों का उल्लेख किया है। यहाँ उतरोतर शाकों में गुरू होने का जो निर्देश किया गया है वह प्रायोवाद है क्योंकि मूली भी एक कन्द है किन्तु वह लघु होती है। वरा शाकेषु जीवन्ती सार्षपं त्ववरं परम् । पत्र शाकों में सबसे उत्तम शाक जीवन्ती और सरसो का शाक सबसे हीन गुण वाला माना जाता है। विश्लेषण : इसके पूर्व पत्र, पुष्प, फल, नाल, कन्द इन पांच शाको का वर्णन 110

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