________________
रवी शिवणाणवदना यक्तं प्रतिलिप्यकिंताएं कम्म विमा एका नामानिरा गीता सापही संज्ञा कर वेदना न नि क्रियाक्रयतामा करि या०] सारयादिकन श्राचादिकक्रियातिदेशका विपरीतक्रिया पर्व महामं पंडितन कर किरिया क्रियाक्रिया एवं दीपक क्रियाला काशिकादानपति कामान पनि एवं समक्ष ज्ञान मानपछि एसा पाकर मायालागता उदघा मामाचनमायाला संनिधिसंचयरूपाला सपना एवं सम्पद कामाला बसावी जोन से करें || नासिक दिन |
श्रग्वियागाणिक राजा एवं समं पावसा ॥ २८ ॥ चिकिरिया किरियावा समपावसाचचिकिरिया अकिरिया वापि समिति सानशिकामा वा समविसका स मणिविसारण एमायावाला सि विसमाया वाला लिवा राचसप || २ || शिपाजवादासनाने सहावसा श्रतिरागादास वापस मावस ॥ २२ ॥ चिरागवादास वास वस • वादास कापि सामावस २३ । बिचारं तसं विसाित सामिपवंस संविस||२४|| शिदानाचादची चापाघवेंस वस शिदावावादी ना ॥२५
प्रतिपादिकन विषादा साप प्रीतिलकृष्ण विनयी एवं हासनकर मायालाई करी जगात मानकरीज़ है पदवी सजा कर 22 गाइ बिना पहचान करवा उपमतिक॥२३॥कायन ताईसा छाडि पनि तिर्यचमनुष्पादानाकामा पत्रा संज्ञामति एक गतिकादिवताना कतिदिन फलाना ठाम ह संसारासारदा वाचनपतिश्वाविंतर राज्यातिषी शव मानिकपादविवाद नदी एन्टिना एवं ज्ञानमनकर श्रद्धावानादवता दिवा एसपी से जाकर शान स्पाम चितिहिप नाफालामना हवी लावनामनुनारको तिर्यचन लिसा कर ॥ 2॥ वसाना पाणिसिद्धि
FD