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सिद्धांत।
प्रमाणानालताका गृहपति श्रमणापासक नई पञ्चरामि खाकरा क हिरे नाम हिंपराग दिं दिई दंडे विनाशलिहायांनी प्राणातिपालनीविरतिकर मातिउरा जाटिकन सिया शिनप्राणी प्रघात तिही विरतिनही चारिभिरिति तिढांधूल प्रणाशयात नाविकी श्रानराजीव नाउपघातमी श्रनुमतिन अदा लागई सीनो का जाली नकदिउ। गाढ़ाती चार विमारक याए पहन सवाष लिक ही स्प एतावता श्री वीरन ईशासनिश्राव कन श्रधिकारित्रसप्राणना दंडन कि श्रापणति प्रायकरा विचाकाल का एमञ्च कतारसप्राणनादेड न निघ४० खाकरता का श्रान कोई
या पद्यमाणा गादावतिसमास एवं पञ्चरका वति लगात पदमारक या तास हिमालदि मिट्रायटई पञ्चकता पञ्चरका नवति पर मा पञ्चरका विद्येचे व पीत परंपर रवमाणातिराति स मे कम से सारिया रवाना विद्यारणा तसत्राप . पञ्चायति त साविपाणा घावरत्राचा प्रतिष वरका या विभागात कार्य सि ॐ तितका या विचमाणा घावर सि विति तसिंग पावर कार्य सलामयं छते पञ्चरकातं जवतिष्टपाख्यान पञ्चना कानमारसापरिपञ्चवाणकराव पहार साकन उपरकादियंत प्रत्याख्याननदान को शतक हि प्रकारि पाराश्रावृकन चरखा एक नाकामा सानप का करावा काय श्रीप्रज्ञा अतिरति गति किस्पा धको प्रतिताले कारण कहि मारिया संसारिक खलु निश्च प्राणाया घाव घावधि पातऊचाऊ वनस्पति पापप्रति हवा कर्म उदय तन्त्राण्त्रमा पञ्चायति ऊपजई। तसा विधारणा प्रियादिकपात्री घावर पृधिव्यादिकापञ्च संतिक पजई घावर काय घावना काय की दिमाग का कामकायन विष तस काया कायका विचमाणा का ताघका घावर का यन विषई उति न कोई चिनीज लिकर जाएगा जार्विस हा घावर पणिकारपतसिंग सजीवन घावर कार्य सिंघावर काय न विष निवार
नासंगनातक या कालकार एव