Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown
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काकीजानि निमाश्रष्ठितम साथ जिम जाति श्रावक जिमपुत्र तिनकाय जिमा चिला करतत्र महकी एक पुत्र राजा का एलार्धमान् चित्रष्टिना सावनया परं किम क राजाक मांसाश्रा नकाराचा नादवापर कई श्रासएक मकाया एलई मा निकोड श्रावक विराश्रनुमतिसामिकारणात कर्मक लाग कल्प उभा तामदिपाश बेडिय तंत्र मनाप्राणातिपात विरत मितादेशविरतिर स प्रियात नागरिक नीरिविनात्रा नामवर ताम्रपत्र प्रियादिकपलि तारण पूर्ववत्र नामक कालकारत श्रीहन उनिह उदई तसागरम
राजपाका मारक ता खांडाती
तास दिपाए हिं पिदायदंडे ति सिंक सलामच
ma दिना
तवतितसाविति तसात सतार काड कम्मुए कीत तस काय हितायत ताताचा विड पञ्चायति प्राविञ्चेतिघा वरा घावर संसार काड कम्मुलागा मं गावराणे लिरको सवति घावरका यातायात विदीत ताना खाओ चिप दिनांकापात्राचायं तितिपाणाविति तसाविचेति उदयप्राप्रतिदीरित्र सनामादिकक मित्र सायं निवारात्रम कायना ऊष्णं पलिखलनिवासका द्वितीयं तस्वितिजघन कार्मुकृष्ट सहस्त्रागारामारीता तिवारी दिना काय नारा तिना सहचारी कमान प्रा त्रोद्याचरणपायति परावतिष्टादिकपालको घार संसार का कारनामेकमन दयावदवान कालि घाण पानामा मतलब तिजारा श्रादातिवारिघावर नामा दिककर्मी है। जिवाता परिकीतितवानविकी घाघाच काययति घरका रानी स्थितिजन्यता कालना संख्याता घरावर्तन के तिवारी व हातावर नोक यस्ता की काय श्राविप्प जहित्राघावर काय उचली लाइयत्राए घर लाकार का यनातिनालाको पवित्र किन पनि नामक मना

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