Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 155
________________ नायगी परि निधनी मध्याद सविरतिप्रमाकर गोतमस्वामि उदावली उकाल्या संतिदया इकरा प्रधान एकाका एक श्रमणापास प्रति सिंह एवं पहिला श्राचकनपट वाचन विश्राम मंडाल निता मुंडई नई गाउ गृहवास की गरि पादरी एगा से चापामानस को किस्प कराई वयं श्राष्टमी मुहिम स्पामा पतला दिवस नई विघडिमा सम४० करिपालनाका विरिवस् तुघावलीला यातच स्वस्य विघानादालन परिपञ्च र स्पा रिमा पदस्थ विदेकण् कर श्रानरायाहि कार्यकराव पनि लदा श्रावकेननुमति न निषिधनदा तिविद्धमनचचन कायाईक राम सुदामांत गतियास माणा धाम गालवेतिति सिंचननति एवानुनय मंचापामा!! मुडालविता श्रागारागपि पचासमुद्दिममा सिली एडि सदसम्म पालमा विद मधूल गपापातिवाये पञ्चरका इसमामा संघ लगंमुसावाद धूल दिघूलगाम धूलपरिगाई पञ्चस्का स्मामा विद तिवाद मालुम महाप किंचिविका रवाकाशवदवाचविण्रकामा मा तिमालाचा श्रापञ्चाञ्च सिगाना ग्राम दीपिटिया उपाञ्चारू तित्रा कालगताar कवतो सिया सम्मका लगताचिचत्तचेसियात पापविशतिततसाविचेति ॥ महाराण्मादर पोषन माहिरा नई (किंचिचिप को शठा मुंद्र वल्लुप निश्वमा कार हवाचन पाचनकिमकरस्प करावदवाने रामविकता मतिननिष पनि स्नीति न खालकर दात चारपाक श्रालाजिमान निस्त्रिनामकराना कारसहमा पतला वा नानकर श्रादा० प्रांचा मंचक कपटिया पाटीमा जी की चारुलिना की ऊतरीन सम्प्रकाशिपासह कालाकाशित ड्रिंकाल की आतंकिंन्त्र बेसिया ताक हवा कही सो का लगताविरुडारि चाविप रिमू तिवारनिग्रेधानान्या चत्रचेसियाडीपरि कालगतचाइमक दिवाति बारगत माना ल्यामापरिज काल की नई वाद वाला कनषिपत्रात पारणा वि० निदांध कति हन प्राण के ढाई तन साविति

Loading...

Page Navigation
1 ... 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170