Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 166
________________ ऊनि जसमा पुरयामा कियाना करदाश्रम न मानना पाल पहार ब्राह्मन ( पहिला राजीव स्त्रीला मानती श्रागमित्राला साचत्रज्ञानाविषई नाच दर्शनपामान सचिञ्चारित्रयामीन पाच तासम्यगज्ञाननिवारित्रपाल हार पर पाचापक माशांण्ाध कर्मनाकर या करवान सातापडित उमान पालाय मुगतिनाला चारित्र पत्रिघातन चिलस्य चारिचीयामा श्रमण ब्राह्मनइनिंद्रात घराला क राधक कहिवाएं हवन गुणवंत नागलग्रहशाहन फलादपा डिज खलु जदली महासमुपगंलीरम कम्मा कराया। स खलुपाला या लिमंत्र नाचिद्र जल्लुम गांवा महापरित सति मित्रिम मतिः श्रागमत्राएं श्रागमत्र दिमागमत्राचवितं पावकमा पिया सखलुपराला गतिसुहीपचिडा तापाला लगवागाय तामिवदिसिंपहार/ग मं श्राणाटाय मागा जामवदिर्सिमानाता दाऊ। श्रासताउद गाजवतहास माणसाचा माहसवा कतिपयगमनि श्रारिय ब्राह्मणना दिलासति निंदनही मितिमा नवप्रमिश्री लाखापा षहूं। साच ज्ञान पामानई/माच दवनियामान। साञ्चनादियामीनशेपाचा कापकर्मन/कराया करवासी पुरुष पालाग सुगतिन तथा संयमनी ही विसावानतितिष्ठतावता तश्रमण ब्राह्मणनहिलिहा यमनाश्राराराध कमाई स्प जागी नई निंदापरि हरी संयमपाल तिवारी उदकापडाला मसावि मसाला नई गोतमन श्राणायमाणा श्रादर विmasamaदिवि जिगदिशि की यात्र ० श्रान तामवदिसिंग तिििदजदिशिन विहारमननचिंता लाग3/ana श्री गितमस्वामिवाल्या श्री सीता श्राहाका स्वनुनिश्वशं जाकाईत मारू श्रमणातिप सभी पि च नू

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