Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown
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पुत्रसनविषयंतिक जगतदिन विषश्रमणापास कनचरका मंडपञ्च। पहिला त्रसदन चलासानामा टिपिलादास aairma लागली की तहांगृहीतय निमारणादश महि यागासी माजावाला
तिनही
लपकला गया हिंदवा श्रमरगा पासक हातालकी श्री पादमाह श्रारदा
उप श्रापक विप्पति बाई माऊ as / जनावरामा विष जरिजन
जावान सपचा इंतित सिमापावासगर जिन सामागादिसमपादास गस्त
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श्रायाणासा
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तादश na वित्रा विप्पजहं तितरज पञ्चायतितिहिंसमाला वासपरका तेल विज्ञाव त्र्यमालादार समरणाचा पाणिरिकात्रण डाएि रिकानातताताचा विपतितातच जनसमाजदिसावा सगस श्रायाणासा मरतापञ्चायतितिहिंसाचा सगपचकारी सवतितारा दामा जित साथ द
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जत्र प्राणिनविषश्रमरमाथा सकन। श्रायाणासाका प्राश्रमावाचली तिमालका श्राप खनियमामिका की बाहिरि जर्दिजननिमाणामास कन्या सहा काला सा श्राप ताजालपा तितहमा दिऊपर निगृहीतयरिमाणादिना माहिर राजावर प्रारण जिन इंविषई श्रमाणामासक नई हाए पनि उनी सहा पानघारनाल क
श्रमणोपासक नापा
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द्वारा श्रामण श्रविना दंड गिरिकान खोडाउछ तिम्र लघावरनई
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