Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 145
________________ त्रिकी स्मारयाना व्या तजीवनाविराधना करतांना कलही नई सभ्यता लिन पनि निक क्लव्यमानीदीसिकारमा निमाद वाला क दितांनससरी घाजीवाचा धावा जिजाणवी इह प्रति किए ही न‍ नगर नावाला कति उदक के हितोसीला निरसावादसहित उद या श्राउ श्रा दाल पुत्र प्रतिशेवाल्या उसाता आहात सन्त एनलतीत नागत कालन नाह किमान कालज याताया वयदेतसन् हतन्त्रयाणा पात संतापाला सायं ददात्रिलगंगायमं पवंत यलग वागायामान तवयंवदामति श्रीस्वामिस् गोतम कारक हवामान येण्वादसहितदक पाणात सावत्र मानाज हरिण का रजिनामात्रक दासी कया खलु चाउ सोनागायमा शिवय दत्तसाधा दयाप टाल पुत्र पचासा श्रा दगा सापाला जिवयंवयामात सा तदवय एगडा किमान सामा नवतित पाणामातरावतितसा प्राणशतमा सापकासह पश्रतिद मालदास यात लगवायासात कसून वयंवदामा ग्राहक हत साधणासा समापन सनक [नामनां वयंवदामा शुत्र ई हटा सालतिsaamouानकारी वक्तव्यतामा कमलदनी कि म्रा ग्रामादात परावति प्राडो मनास माला पति किम कनिष्पादन की एक पुडिका सह निंद एक शिलादारीमा किन दिएक या एवति न्यायमहितापना की मानक हिना प्रतिसाद

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