Book Title: Suyagadanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Lalchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 144
________________ पातलली को इन ही चहक समार्थवादसतिलाचन ताबान्या श्रासीता श्रायुतउदक, खलु निश्वयति जनवचन क विरुवाला दकाश्रमा श्री निरंकति इमानकारका सतिमितसहित पतिश्रमण नियंत्रणासाला संतिशत निरती सामानबालवय नुताप ऊपजलकार पितापिता से सात साधताना झाग सागावास श्रासक नई कति दान तु हिं प्रारापि श्रानराई जीवन जतिज संयमाल जिमचा लढ उदका टाल पुत्र ननि योग्य नही जलकर ma शान मक दिघ कतार सवायेन गवांगायाम उदयालपुत्रपश्यासा आता उदगा श्रयारायति जान सम दामाद एवं तिरकेति जागरू तणावात समानापि गांधावा ला संज्ञासंति ताविर्य स्खलनासंति श्रशारक तिरव खासमा वास जर्दियाहिंएहिंजी दिसातदि तितमिति श्रशारकेनि कानादसंसारिया खलुपात साविपाएगा वरतापचायति रातिमत्रापपन्चायतकायामा घातक सिaa ॐ तिघावर का या विप्र मासकार्य सिas सिंचगत सकार्य सिदामा गलाम निवारांनी तर इंषिवातिमाहिनिया राहनारान वादी तापविणकरके ताना रहित कवि कहि संसारिया जि छा हा माहिमं क्रम तसाविपाणा श्रमप्राणविसी नई मात्र क्रिज तमका या पत्रकायका विचमा सर्वमात्र साऊ बाडीन वर काय एका विष्पमुद्धमाणा सर्वाधिमा रन आऊटुं कर्म बाडा नई तस कार्यसि यसिस कायनिविष पान मसायनाक घ नियमन अवरम की मार का यन विषरित पणिकारलिंगन कहि वापर रियाजी मा त्रसमपाई पह घावर का चिरजीवन श्रावकाशीन प्रिया व पादेशी प्राण 02"

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