Book Title: Sutrarth Muktavali
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Labdhisuri Jain Granthmala

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Page 24
________________ विषयानुमानिका। पू. पं. विषयाः २७२ १४ भावनाभावे मोहनीयसद्भावनैयत्यकथनम् ॥ २०२ १९| अभवसिद्धिकानामेतानि सदैवेति कथनम् २०४ २७३ ११ अनगारगुणवर्णनम् २८४१३ व्रतपञ्चकादिगुणव्यावर्णनम् २८४ १६ २७४ १७ देवगतियोग्यकर्मबन्धकथनम् २८४ २५ नैरयिकयोग्यकर्मबंधकथनम् २८५ पापश्रुताख्यानम् २८५ २७४ २४ | भौमादिश्रुताभिधानम् २८५ महामोहनीयस्थानवर्णनम् २८५ २ २७५ २ त्रिंशतां तेषां संक्षेपतो वर्णनम् २८५ २२ २७५ ३० | सिद्धादिगुणकथनम् २८६ २८ २७६ प्रशस्तयोगसङ्ग्रहवर्णनम् २००१ तेषां द्वात्रिंश दकथनम् | भाशातनाभेदवर्णनम् तीर्थकृदतिशयवर्णनम् मर्धमागध्या धर्माख्यानकथनम् अर्धमागधीखरूपम् २८४ २८. वचनातिशयनिरूपणम् २७८ शब्दापेक्षयाऽतिशयससकवर्णनम् २७८ अर्थापेक्षया महार्थाचतिशयप्रकाशनम् २८९ २७८ तीर्थकृतां सम्पत्तिवर्णनम् २७८ महावीरश्रमणकालाभिधानम् २९० १२ २७४ नरकावाससंख्यानिरूपणम् २९० १९ प्रथमपृथिव्यां तदावासकथनम् चतुर्थपृथिव्यां तदावासवर्णनम् २९० २६ २०० | पञ्चमपृथिम्यां तदावासवर्णनम् २८. ऋषिभाषिताध्ययनसंख्याकथनम् २८१ समयक्षेत्रप्रमाणादिवर्णनम् सीमन्तकादीमा प्रमाणवर्णनम् २९१ . दृष्टिवादस्य मातृकापदसंख्या ब्राह्मी लिप्यां मातृकाक्षरसंख्या २९॥ ३॥ २८२ २५ अग्निभूतेरगारवासकालसंख्यानम् २०३ ३ धर्मजिनस्य गणादिनिरूपणम् २९३ १२ भिक्षप्रतिमाविशेषस्य कालप्रकाशन २९२. १४. २०३ ॥ भिक्षुनिक्षेपाः २९२ २० २८५ १९ भावभिक्षुभेदाः २९२ २८ २४३ २५) समसप्तकिका प्रतिमा २९५ २७७ विषयाः चित्तसमाधिस्थानभेदाल्यानम् धर्मचिन्तादिदशसमाधिभेदप्रकटनम् उपासकप्रतिमाभेदाः दर्शनश्रावकादिभेदान्वाख्यानम् सम्भोगभेदाः धारनयोपरि अशुद्धोपधिग्रहणकर्तुः प्रायश्चित्ताभिधानम् श्रुतविषये संभोग्यासंभोग्यप्रकाशनम् भक्तपानाञ्जलिप्रग्रह निकाचनेषु तरकथनम् अभ्युत्थानादिविषये तद्वर्णनम् क्रियास्थानभेदाः चतुर्दशपूर्वभेदाः पूर्वस्वरूपकथनम् उत्पादपूर्वादिवर्णनम् परमाधार्मिकभेदाः अम्बादितखेदवर्णनम् पोडशकषायकथनम् तत्पुटीकरणम् संक्मासंयमविषयवर्णनम् संयमिनामष्टादशस्थानकथनम् सक्षुद्रकव्यक्तपदसार्थक्यप्रकाशनम् ज्ञाताध्ययनमेदाः उत्क्षिप्ताध्ययनादिवर्णनम् असमाधिस्थानवर्णनम् तचारित्वादितनेदप्रकाशनम् सबलभेदाः हखकर्मादित दवर्णनम् परीवहमेदाः शुभुक्षादित दवर्णनम् सूत्रकृतानाध्ययनभेदाः चतुर्विंशतितीर्थकराः . भावनाभेदाः प्रथममहावतभावनाः । द्वितीयमहाव्रतभावना तृतीयमहावभावनाः चतुर्थमहावतभावनाः पञ्चमहावतभावनाः सू.मु. अ.३ ० २८९ २०.

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