Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 420
________________ परिशिष्ट ६ छंदानुक्रमणिका पृ० प्रकरण पद्यांक १९६ ७ १८५ ३५६ ७ ५६६ ३०४ ७ ३९८ ३०२ ७ ३६४ ३४६ ७ ५६० ३००७ ३९० GGGG गाथा १५० ७ १०३ छदनाम प्रथम पंक्ति इकतीसौ साह के कटहरे विफरी ठाढौ अभसाह . कवित्त कुंडळियो वेळा उण खत 'विलंद' नूं इम मेले 'प्रभमाल' कवित्त दोढ़ी छक बोले रिणछोड़ सूर जोधौ ‘गोयंद' सुत महाराज 'प्रभमाल' पूछ धावड़ महपत्ती राजभार वद रछिक कहै धनरूप एम कथ बजे ध्रीह त्रंबाळ पमंग साकति सझि पक्खर सूर सती सुत सूर रटै 'रुघपत्ती' रोहड़ ताल प्रदंग तंबूर भुगधा वेस प्रमाण सुत राघव कवसल्ल सोलह सझि सिरणगार गीत कहर इरादतमंद 'जैसाह' हैदरकुळी छप्पय, छप्प अंबखास 'अभमाल' झळळ पौरस झाळाहळ (कवित्त) 'अजमल' सकति अराधि प्रोण रक्केब उधारे 'प्रजौ बाळ अवसता लेख वइवगढ़ लीधौ - अठी एम पह उभे दळां पारंभ दरसाया अठ जठे असि मोरि लोह स्रोहयां लगाया अभंग 'पदम' बोलियौ प्रगन पोरस ऊघाड़े 'अमर' रांरण करि उछब पोह सांमुहौ पधारे 'अमर' लोथि माविया वीर दारण विकराळा 'प्रवरंग' प्रसपति हुवौ विखम चंडनयर विचाळे । 'अवरंगहूं करि प्रांटि अडर डेरां भड़ पाया असपति मेळ 'अजीत' धरा नायक नह धारै असि सिरपाव अनेक कड़ा मोती गज कंकण प्रस्ट लाख उरण वार लहै 'खेतल' कवि लाळ स प्रांब खास मझि 'प्रभो' उरसि छिबतो पह पाए प्राइ दिली ईखिया जोध चौतरा जसारा प्रागा सेख मुसाद कहे जंग इहां न कीजै १५० ७ १०२ १२१ ६ ३५२ १२५ ६ ३५८ ६२ ६ ८६ ३३ ६ १६ ६४ ६ २८७ ६२ ५७६ २२ ५ २५ ७६ ६ १३६ ८ ४ १६ ४ १९ २३५ ७ २६३ ७७ ६ १३८ २८० ७ ३४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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