Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 434
________________ छंदनाम प्रद्धरी पृ० प्रकरण पद्यांक ३५६ ७ ५७६ ११६ ६ ३४५ ३५६ ७ ५७७ ११६ ६ ३४७ ४५ ६ ४८ १३० ७६ १३१ ७ १२६ ७ ३५८ ७ ५७३ ३६२ ७ ५६० १२० ६ ३५१ ११८ ६ ३४३ [ ४६ ] प्रथम पंक्ति धरि नवबति चढ़ि नीसांण धार धारे छक 'मोहण' हर सुधांम धुजि चढ़े गजां हथनाळ धारि नव खंड सिरै जुध करण नाम नप जोग असी चत्र अडिग नेम पग मंडा जरकसी वरिण अपार । पह तिळक कोध कुंकम सु पाणि पौसाक ऊंच जवहर अपार प्रम अंस सूर दाता प्रमाण 'बखतेस' 'लखरण' जिम महावीर बलि जुदौ जुदौ गुण कहि वताय बाजंतां त्रंबागळ डाक बाधि मिळ उडै अरघ घट रंग माट मुरधरा मौहर वळ सझि अमाप रचि मीन रासि सनि कर राह लालंबर लोयण वदन लाल वडवडा खांन भूपति बुलाय वरिणयो गढ़ 'अम्मर' सूरवीर वरदाय पढ़त गुण कवि वखांणि वहतां दळ उजड़ हुवे वाट वादळां सिलह पोसां वरणाव वस्चक सक्रांत दिन खट वितीस सझियो जैतारण जुध सधीर सहनांम मुरसला रंग सवाद साबळ झलि हालै पह सधीर सिर नमे हजारां बंध साथ सिरपाव बगसि बह सिलह साज सुणि खत जबाब इम 'प्रभसाह' सुग्रही अने के इन्द्र सार सुत 'कुसळ' 'ऊद' हरवळ सकाज सोळे से साफ चववीस तास सोवन जवाहर अति सरूप सोहियो 'अभौ' इण विध सकाज स्री गणपति सरसति प्रणम साधि स्री भगवत गीता हित सधार ३५७ ७ ५७१ ११४ ६ ३२६ १२० ६ ३४८ ११५ ६ ३३० ३६१ ७ ५८६ ३६० ७ ५८० ३६० ७ ५८१ ११६ ६ ३४४ ३५७ ७ ५७० १३२ ७ १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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