Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 462
________________ [ 11 ] 5-Dasakanthvadham, by M. M. Pandit Durgaprasad Dwivedi, edited by Shri Gangadhar Dwivedi. "The author of the work under review has depicted the life of Rama from the spiritual point of view in his work called Dasakanthvadham on the lines of Yogavasistha, a well-known extensive philosophical treatise on Advaita Vedanta ... The author is a gifted poet of a very high order the treatment of the theme especially in the first chapter is highly elaborate and the descriptions abound in rich poctical imagery of high acsthetic value.' H.C. METHA Journal of the Oriental Institute Baroda Vol x. No. 3, March 1961 ६-श्रीभुवनेश्वरीमहास्तोत्रम्-पृथ्वीधराचार्यविरचित, कविपद्मनाभकृत भाष्यसहित, सम्पादक श्रीगोपालनारायण बहुरा एम.ए., उपसञ्चालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर । क. "मूल स्तोत्र की प्रबोधिनी टीका और पाद-टिप्पणियों में जो अनेकानेक पाठान्तर दिये गये हैं, उनसे इस प्रकाशन की उपयोगिता तथा महत्त्व बढ़ गया है। २६ जून, १९६१ महाराजकुमार डा० रघुवीरसिंह एम.ए., एल.एल. बी., डी. लिट्. एम पी. सीतामऊ ख. "इस स्तोत्र में भुवनेश्वरी के स्वरूप, ध्यान और मंत्रों का सम्यक रूप से विवेचन है। साथ ही अन्य १२ स्तोत्रों के द्वारा भुवनेश्वरी के माहात्म्य की पर्याप्त सामग्री एकत्र की गई है। यथासंभव उपासनासम्बन्धी कई ज्ञातव्य विषय दिए गए हैं। प्रारंभ में 'प्रास्ताविक परिचय' नाम से श्रीगोपालनारायण बहुरा ने विद्वत्तापूर्ण भूमिका लिखी है। उससे इस स्तोत्र तथा इसके विषय को समझने में बड़ी सहायता मिलती है। ता० २० अक्टूबर, १९६१ -दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली ७-राजस्थानी साहित्य संग्रह-- भाग १. सम्पादक श्रीनरोत्तमदास स्वामी, एम.ए. भाग २. सम्पादक श्रीपुरुषोत्तमलाल मेनारिया, एम.ए., साहित्य-रत्न। ...."साहित्य और भाषा की दृष्टि से ही नहीं, इतिहास-सम्बन्धी भी बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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