Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 432
________________ छंदनाम नीसांणी हंसगति पद्धरी [ ४४ ] प्रथम पंक्ति 'अजमल' तेज दिलेसां ऊपरि बरखं प्रोखम भांग बिहंतर 'प्रजमल' विदा कियो जिए श्रीसरि धरि दळ पुर 'भौ' पाटोधर मिळिया प्रपतित 'श्रमल' प्रसपति कुरब किया अ ( प ) रंपर छांवळ घाले महाराजा घूंघट घाले तांम दिलोधर मोहकम मारि लिया दिल्ली मझि गिणिया नहीं दिलेस्वर गुम्मर सदिळ पूर आए साहिजादा धोखळ धोम वध दिल्लीधर अंग तेजवंत सोभा अनंग प्रति कड़ा जूड़ पैदल अनंत प्रति कोक कला भोगी अपार प्रति वर्ष क्रोत दोरग्घ प्रव 'अमरेस' सधरण गोळा श्रपार श्रनि धरणा कोध जुध सु छळि श्राप sai मांहि मिळे 'जैसाह' प्राथ प्रसि खडग सकति तोरण उदार ग्रहमंद पुरहंस नज्जवीक प्राय धापरा लूण परताप अन ऊजळ कुमार उपजं उदार Jain Education International ७५ ६ ३ वर अमीर भूपजां प्रागळि करें सिलांम दहूं जोड़े कर ७३ इम पतिसाह नमाय लोध इळ एहा भूप 'अजीत' उजगार खिल्बति करें न खिलबति खांने तसबी खांने जूं न तंतर जिग प्रवरंग तथा दळ जीता श्रातम सकति वजाई असमर जीता मौजदीन दळ जीता कैद करे तकबीर करहर भळहळ रती भुजां भर झल्ले हल्ले उतन नरेस 'जसाहर' देखि देखि 'श्रभैमल' सेज जिक दिन श्रालम राह कथे कथ उच्चर पृ० प्रकररण पद्यांक For Private & Personal Use Only ७० ७० ७३ ६ १२२ தீ ६ ७१ ६ १२४ ६ १३० ७३ ६ १२८ ७५ ६ १३२ १२६ १२१ ७४ ६ १२० ११७ ७६ ६ १३५ ७५ ६ १३३ ७१ ६ १२३ १३४ ११६ ६ ४३ ६ ७२ ६ १२७ १२ १३२ ७ ३५६ ७ ५७८ ४३ ६ ૪૧ ४५ ६ ४६ ६ ३४६ ६ ३३७ ११६ ६ ३३३ ४६ ६ ५० ३६३ ७ ५६२ ३३६ ३६ १३१ www.jainelibrary.org

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