Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 441
________________ छंदनाम हणूंफाळ पृ० प्रकरण पद्यांक ९० ६ २१८ ७८ ६ १४१ ८० ६ १५८ १०३ ६ २७० .१३८ ७ ३५ ७८ ६ १४२ १४६ ७ ८१ ८४ ६ १८३ . [ ५३ ] प्रथम पंक्ति अति रूप क्रांति उजास अनि कर कुरण इण भांति अनि करै कुण विरण प्राप अनि लोक संपति इंद प्रबनोस चंदण अंग अरु वैर तीजी गाय असलूफ रंग उजास असुरांण सीस उपाडि आगर गढ उण वार प्रागै जु दियौ छुडाय - प्रा मिटण न दूं अनादि सामूझि मग अकुळाइ प्रावंत पह 'प्रभमाल पावंत लोक अपार प्रावस धकै श्रमास इक साइयां के एह इक साह तखत उथापि इस मांहि एक अदाब इण वणे रूप प्रभंग इम पाप डेरा प्रोप इम खबर मुदफर प्राय इम चढे कवर अभंग इम चोपदार उदार इम जळे घण प्रागार - इम ठांम ठाम अगन्नि इम भूप सनमुख प्राय . इम वणे निज प्राथांण इळ कनक मोर उडाय इळ चढ़े पह उण बार उडत खग प्रसमारण उडि पड़े पाट दिवाळ उण नाम भड़ प्रखमाल' • उण वार परिण नर इंद्र उरण होज विध सुत अस्स असहर को ऊफांण ८२ ६ १६६ १०१ ६ २५७ १४३ ७ ६५ १४० ७ ४७ १०३ ६ २६७ ७६ ६ १५० ८४ ६ १७६ ८३ ६ १७२ १४६ ७ ८५ १०८ ६ ३०० १०२ ६ २६० २५१ aur 99 or ur or ur 9 or ur १०४ ६ २७८ १०४६ २७७ १४१ ७ ५५ १४६ ७ १०८ ६ २६९ १४६ ७ ८० १०१ ६ २५६ १०४ ६ २७५ ८८ ६ . २०६ १३५ ७ २१ १४५ ७ ७० १०३ ६ २७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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