Book Title: Surajprakas Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 424
________________ छंदनाम छप्पय, छप्पै (कवित्त) पृ० प्रकरण पद्यांक २३७ ७ २६६ २८२ ७ २५२ ६ २३० २१ ५ २३ १३४ ७ १६ २६८ ७ ३८५ २८२ ७ ३५१ ३५० ७ ५६३ ७७ ६ १३६ १५२ ७ ११० २६६ ७ ३२५ [ ३६ ] प्रथम पंक्ति त खुस बखती प्रतर रंचे डंबर रिझबारां दखिण धरा रस दियौ प्रसह नह कर इरादौ दरगह पूर दुझाल कहै 'प्रभमाल' एम कथ वळ पाड़े बह रवव पड़े झिल लोह अपारां दळ सझि 'प्रजो' दुझाल 'प्रजौ' तारागढ़ प्रायो दस हजार रववाळ पड़े गज भिड़ज अपारां दोह केक मझि दुझल 'प्रभौ' मुरधर मझि पाए बुजसिंघ वईवाण सूर बोल 'सबळावत' दुझल सिर दरबार उठ कीधौ ‘प्रभपत्ती' दुय दुय सहस बंदूक सहति बकसरां सकाजा धख इम चख (...) धिखे तांण मूछा खग तोले धुनि सवंग धुध कटस धुकट धुधुकटस धुकट धुर धोम नयण सिंधुरां जंगी हौवां पाखर जडि नट कछनी करि निहंग घर अंगरखा बहादर नाभराज इक निमळ प्रफुलि गिरराज वंस पर नाळ घमस वजि निहंग धरा जहराळ कमळ कि 'नाहर' सुत नर नाह, कह हाजर छक कारण निडर चंडावळ माथ रूप प्रीखम रवि रावत निडर भूप नागौर समर झोके बळ सम्बळ पंगराज प्रमाण प्रगट चढ़ियो 'प्रभपत्ती' पमंग गजां पाखरां जंगी हवदां समरीज पह 'अजमल' परताप प्रसिद्ध दौलत इण पाई पह कुमार पग पनि 'प्रभो' खांचे मुख अंचळ पह दाखल पोसाक प्रनै जवहर घर पाए । पह बारट पूछियो बहसि 'गोरख' जद बोल पह वजीर पूधिया धरा थंमरण बुधधारी पांच हजारी पांच घड़ी जडि हणे जर्मघर । पूछ व्यास पवित्र ताम महाराज 'प्रजरण' तण पेखि रोस पतिसाह माळ मोतियो समप्प प्रगट खांप खांप रा एम दौड़ बड रावत प्रजळे उर पतिसाह वाह ौरिस प्रति दाझे पुहव तांम पूछियौ करमसीयौत कमज बां भरै गळबांह हयां जमदाढ़ झळाहळ बहै घमक साबळां वह झाटक बीजूजळ वहसि 'करण' बोलियो सुतण 'राजड़' तिण मौसर १६ ५ २० २९६ ७ ३८२ २८४ ७ ३५७ २२४ ७ २०४ १४६ ६ १०० ३४६ ७ ५५५ ११२ ६ ३२२ ६ २४३ ७ ३८९ २९६ १२ ३०१ ७ ३९२ १२६ ६ ३६१ ३७ ६ २६ ७० ६ १२० २६४ ७ ३७६ ७ ४ १४ २८३ ७ ३५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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