Book Title: Siddhhem Shabdanushasan Laghuvrutti Vivran Part 03
Author(s): Mayurkalashreeji
Publisher: Labh Kanchan Lavanya Aradhan Bhuvan

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Page 284
________________ ર૭૩ गाN+ई+ क्यन् - मा सूत्रथा य् नो दो५. गा+ई+य - गार्गीय - कर्त्तय... 3-4-71 थी शव् प्रत्यय. गार्गीय+शव्+ति - लुगस्या... 2-1-117 थी. पूर्वन अ नो सो५. गार्गीय+अ+ति - गार्गीयति. - गार्यः 652 प्रभारी थशे. गार्ग्यः इव आचरति - गार्गायते = ते २॥र्य माय२९॥ 43 छे. - गार्ग्य - क्यङ् 3-4-26 थी क्यङ् प्रत्यय. गार्ग्य+क्यङ्- दीर्घश्च्चि... 4-3-108 थी अ नो आ. गार्या+क्यङ् - // सूत्रथी य् नो टो५. गार्गा+क्यङ्+ते - कर्त्तय... 3-4-71 थी शव् प्रत्यय. गार्गाय+शव्+ते - लुगस्या... 2-1-113 थी. पूर्वन अ नो दो५. गार्गाय+अ+ते - गार्गायते. अगाठः गार्ग्यः भूतः - गार्गीभूतः = Quर्य न तो ते 2 // 24 25 थयो. गार्ग्य - कृभ्वस्ति... 7-2-126 थी च्चि प्रत्यय. गाये+च्चि+भूत - ईश्च्वा... 4-3-111 थी अ नो ई. गार्गी भूत - मा सूत्रथा. य् नो दो५. गार्गीभूत / અહીં બંને ઉદાહરણમાં વ્યંજન અને વય ની વચ્ચે હું અને મા નું व्यवधान छ छतi येन नाव्यवधानं तेन व्यवहितेऽपि स्यात्” में न्यायथा કુંકારાદિનું વ્યવધાન હોવા છતાં પણ આ સૂત્રથી ચૂનો લોપ થયો છે. आपत्यस्येति किम् ? सङ्काशेन निवृत्तं - साकाश्यम्. सङ्काश - सुपन्थ्यादे... 6-2-84 थी ज्य प्रत्यय. सङ्काश+ज्य - वृद्धिः... 7-4-1 थी हिस्१२नी वृद्धि. साङ्काश+ज्य - अवर्णे... 7-4-68 थी. अ नो दो५. साङ्काश्+ज्य - साकाश्य. साकाश्यम् इच्छति - साकाश्यीयति = ते सistश्य नगरने छे छे.

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