Book Title: Siddhachal Tirth ke 21 Kshamashraman
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 24
________________ ( २२ ) दर्शन शुद्धि कारणे, यह तीरथ शुभ कार द्राविड वारी खिल्लजी, दश कोटी परिवार । आये शिवपुर लेने काजे-तीर्थ० ॥६॥ सूरि शुक शेलक थया, थावच्चा ऋषिराव । षट नंदन देवकी तणे, रामकृश्नके भाय । ___हुये इणगिरि शिवपुर राजे-तीर्थ० ॥७॥ रिसि तपी मुनि संयमी, रत्नत्रयीके धार । अनशन करी मुक्तिगये, आतम वल्लभ तार । तारणे तीरथ सिरताजे-तीर्थ० ॥ ८ ॥ (५) आशा. श्री विमलाचल तीर्थ सुहंकर, भवोदधि तारण हाररी ॥ श्री० ॥ अंचली ॥ द्रव्य भावसे तीरथ जानी, लोकोत्तर लौकिक पिछानी । परमारथ शुभ गहे भविप्रानी, ज्ञान ध्यान शुभ धाररी ।। श्री०॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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