Book Title: Siddhachal Tirth ke 21 Kshamashraman
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 25
________________ अष्टापद आबु गिरनारी, समेत शिखर चंपापुरी सारी | पावापुरी शत्रुंजय धारी, सिद्धगिरि सब सरदाररी ॥ श्री० ॥ २ ॥ नेमिनाथ विन जिन तेवीसा, समवसरे सहु विमल गिरिसा । ऋषभदेव श्रये जगदीसा, पूर्व निनानवे वाररी ॥ श्री० ॥ ३ ॥ शांतिनाथ पुंडरीक गणधारी, पुंडरीक गिरि तीरथ बलिहारी । धनधन यात्रा करे नरनारी, जन्म मरण दुःख टाररी ॥ श्री० ॥ ४ ॥ राम भरत पांडव वलवंता, थावच्चात शुक गुणवंता । कर्मखपी हुए सिद्ध भगवंता, आवागमन निवाररी ॥ श्री० ॥ ५ ॥ द्राविड वारिखिल्ल सेलक संता, देवकी षट नंदन मुनि खंता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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