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( ३१ ) कार्तिकी पूनम को तो अवश्यमेव यात्रा होनी चाहिये । क्योंकि साधु साध्वियों को चैत्री पूनम की यात्रा का लाभतो विहार करते करते उससमय वहां पहुंचजावे तो होसकता है परन्तु कार्तिकी पूनमका तो तबही लाभ मिल सकता है जब कभी श्रीसिद्धगिरि राजकी छायामें-पाली ताना-नगरमें चौमासा होवे ! और हमेशां वहां चौमासा होना असंभव है, इसलिये भी जहां साधु साध्वियोंका चौमासा होता है वहां वहां सर्वत्र प्रायः श्रीसंघ मिलकर-साध. साध्वी, श्रावक और श्राविका-चतुर्विध श्रीसंघ इस प्रकार अर्थात् कार्तिकी पूनमके दिन आडंबर के साथ चतुर्मास की समाप्ति सूचक तीर्थयात्रा निमित्त श्रीसिद्धाचलजीके पट्टके दर्शनार्थ जाता है। ____ वहां पहुंचते ही श्रावक श्राविका यथाशक्ति भक्तिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत (चावल) फल-(श्रीफल-नारियल आदि) नैवद्य और नकदी वगैरह चढ़ाकर द्रव्यपूजाका लाभ लेलेवें, बादमें यदि साधु साध्वीका योग होवे तो उनके साथ
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