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स्वयंभस्तोत्र का मराठी कोष्टक वगेरह में लीखा है कि-भगवान् नेमिनाथ का जन्म, द्वारिके के "शौरिपुर मुहल्ला" में हुआ।
कोइ २ दिगम्बर ग्रन्थ बताते हैं कि-भगवान् नेमिनाथ का अन्म शौरिपुर में हुआ।
(१४) हरिवंश पुराण में लीखा है कि-करण दुर्योधन वगेरह मुनि होकर मरकर स्वर्गमें गये।
पांडवपुराण में लीखा है हि-दुर्योधन वगेरह महाभारतमें मारे गये। .
(१५) दिगम्बर शास्त्रो म भगवान् महावीर स्वामी के निर्वाण समय के लीये बड़ा भारी मतभेद है। जैसा कि शक संवत् पूर्व ६०५ वर्ष ४६१ वर्ष ७०४ वर्ष ९५९५ वर्ष और १४९७२ वर्ष में भमवान् महावीर स्वामीका निर्वाण हुआ वगैरह ।
(ता. १० । ३ । १९३८ का जैनध्वज) इन २ विरोधों को मद्दे नजर रखकर इस नतीजे पर पहुंचना अनिवार्य है कि-श्वेताम्बर की मान्यता सत्य है।
दिगम्बर शास्त्र भी उन पांचो तीर्थकर के लीये "कुमार" शब्द का अर्थ अविवाहित नहीं किन्तु "युवराज" ही करते हैं। अतः मतभेदका अवकाश रहता नहीं है।
दिगम्बर-आप दिगम्बर शास्त्रो के प्रमाण दीजिये !।
जैन-दिगम्बर शास्त्र म लीखा है कि ये पांचो तीर्थकर कुमार थे माने विना राज्यप्राप्ति हुए मुनि बने । देखिये पाठ(१) वासुपूज्यस्तथा मल्लिनेमिः पाश्वो ऽथ सन्मतिः।
कुमाराः पञ्च निष्क्रान्ताः पृथिवीपतयः परे। माने-वासुपूज्य, मल्लीनाथ, नेमनाथ पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी ये पांच तीर्थकर राजा बने विना ही मुनि बने, और शेष उन्नीस तीर्थकर पृथिवीपति माने राजा बनकर बादमें ही मुनि बने ।
. (पं. चंपालालजी कृत चर्चासागर, चर्चा ९३, पृष्ठ ९२) यहां 'पृथिवीपतयः' लीखकर स्पष्ट कर दिया है कि वे पांच सीर्फ "राजकुमार" ही थे, माने पृथ्वीपति नहीं हुए थे।