Book Title: Shu Vidyut Sachit Teukay Che
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Anekant Bharati Prakashan

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Page 287
________________ पछे भर भर ल्यावे ठांम, आधाकर्मी भोगवे ए। त्यांरा दुष्ट धणा पिरणां, भविक निरणो करो ए ।पा.२।। करडो काठो धोवण भावे · नहीं ए, उन्हों पाणी लागे स्वाद । तिण सूं अन्हाखी थका ए, करे कूडी विषवाद ॥३॥ कहे धोवण में उपजे घणा ए, दोय घडी पाछे जीव । ए उंधी परूपनें ए, दे छे कुगति नी नींव ।।४।। धोवण इकवीस जाति नों ए, साधु ने लेणो कह्यो जिण आप । आचारांग सूतर' में ए, ते कुगुरां दीयो उथाप ।।५।। इकवीसा जाति सूं मिलतो थको ए, धणी जाति रो धोवण जाण । ते पिण लेणो कह्यो ए, तिणरी न करे मूढ पिछांण ।।६॥ . अनेरो सस्त्र परिणम्यां थकां ए, वर्ण ने रस फिर जाय । ते धोवण लेणो साधु नें ए, ते विकलां में खबर न काया ॥७॥ कहे धोवाण में जीवा उपजे ए, दोय घडी में आय । ते पिण सूतर में नही ए, झूठ थका बोले मूसाब्राय ॥८॥ ततकाल रो धोवण नहीं वेंहरणों ए, धणी बोलां रो धोवण लेणो जांण । दसवैकालाक में कह्यो ए, तोही करे अग्यांनी तांण ॥९॥ कहे धोवण में जीव उपजें ए, ते अन तणे परवेश । एहवो झूठ बोलने ए, कर रह्या कूड कलेश ॥१०॥ जो धोवण में जीव उपजें ए, तो रोटी में ई उपजे आंण । दोय घडी मझे ए, ए लेखो बरोबर जाण ॥११॥ इमहिज दाल खीच घाट में ए, इत्यादिक सगली अन जांण । सगलां मों जीव उपजें ए, धोवण सूं यांने ल्यो पिछांण ।।१२।। कठे पांणी थोडो में अन घणो ए, कठे अन थोडो पांणी अत्यन्त | पांणी में अन सर्व में ए, यां सगलां रो एक विरतंत ।।१३।। दूध री जावणी रा धोवण मझे ए, यांमें उपजें बेइंद्री आय । तो दूध में पिण उपजें ए, पांणी मिले छे तिण मांय ॥१४॥ वले दही में छाछ रा धोवण मझे ए, जो उपजें बेइंद्री आय । तो दरब में ई उपजें ए, पांणी मिले छे दरब रे मांय ॥१६॥ १. आचारचूला, १/६/९९-१०४ २. दशवैकालिक सूत्र, अ. ५, उद्देशक १, गाथा ७५-७७ 274 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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