Book Title: Shrutsagar Ank 2013 10 033
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प. पू. गुरुदेव आचार्य भगवंतश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के ७९ जन्मदिन पर पठित दो कविताएँ जितेन्द्र शाह हीम से उज्जवल शशिसे शीतल, है गुरूवर ये रूप तुम्हारा, दर्शन पाकर आप के हमने, पलपल अपना जीवन सवारा, पूज्य गुरूवर बुद्धिसागर की, आप पर बरसी कृपा अपार, गुरू कैलाशसागर के चरणों मे, आपने कीया जीवन शृंगार. हीम से उज्जवल... नेतृत्व मे आपके महुडी तीर्थने, स्वयं को है खूब निखारा, कोबा तीर्थमें बीराजीत कीये है, प्यारे प्रभु महावीरा, संग्रहालय और पुस्तकालय, तो जगमे एक अनोखा न्यारा, आंगन आंबावाडी का हर्षाया, जब चातुर्मास को स्वीकारा. हीम से उज्जवल... शिष्य-प्रशिष्यों का सागर छलके, एसा उभरता प्यार तुम्हारा, नवकार मंत्र आराधक अमृतसागर, व्यवहार करते प्यारा-प्यारा, शिष्य अरूणोदय और अरविंदसागर, पंचांग बनाकर धर्मध्वज लहराया, शिष्य विमलसागरजी ने बदली, वक्तव्य से वक्त की धारा. हीम से उज्जवल.... क्या नेता क्या प्रणेता, चरणो में सब शीष जकाते, जो भी गुरूभक्ति मे डूबे, सबके कष्ट खतम हो जाते, जिनसासन के सजग प्रहरी, चरणो में कोटि-कोटि वंदन, जन्मदिन पर करते है हम, सब दिल से आपका अभिनंदन. हीम से उज्जवल... रजकण मस्तक पर लगाने, उमड़ पड़ा है जनसागर सारा, भाग्य हमारे चमके गुरूवर, जो सांनिध्य आपका पाया, For Private and Personal Use Only

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