Book Title: Shrutsagar Ank 1999 09 009
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर, श्रावण २०५५ वृत्तान्त सागर * अक्षय तृतीया के पवित्र अवसर पर प. पू. शासन प्रभावक, राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा आदिठाणा की पावन निश्रा में श्री वडनगर के आदीश्वरजी जैन मंदिर-संघ में विशाल पैमाने पर वर्षी तप पारणा का शुभ प्रसंग महोत्सव के साथ सुसम्पन्न हुआ. पंन्यास प्रवर श्री अरुणोदयसागरजी म. आदि ८० से अधिक तपस्वी आत्माओं का सबहुमान पारणा कराया गया. * प. पू. परमात्मभक्ति रसिक, शिल्पशास्त्र मर्मज्ञ आचार्य प्रवर श्रीमत् कल्याणसागरसूरीश्वरजी म. सा. के संयम पर्याय के ५०वें वर्ष के उपलक्ष में श्री सिमन्धर जिन मंदिर के प्रांगण में परमात्मा की भक्ति सह अनुमोदना दिन मनाया गया. पूज्यपाद आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा ने पूज्य गुरूदेव के इस पवित्र प्रसंग. निमित्त विशाल सभा को उद्बोधन किया और जीवदया आदि के सुन्दर कार्य हुए. ___* जिनशासन के महान प्रभावक गुरु शिष्य दोनों पूज्य आचार्य भगवन्तों की पावन निश्रा में दिनांक २१.०४.९९ से २५.०४.९९ तक श्री सिमन्धर जिन मंदिर में अशोक वृक्ष सहित नूतन समोवसरण जिन मंदिरजी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव बड़े हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. इस प्रसंग पर विविध महापूजन एवं साधर्मिक वात्सल्य युक्त जिनभक्ति महोत्सव का सुन्दरतम आयोजन किया गया. सोने में सुगन्ध की तरह दि. २२.०४.९९ के शुभ दिन पूज्य श्री के वरद हस्त तीन बहिनों की पारमेश्वरी भागवती प्रव्रज्या भी खूब ही उल्लास पूर्वक सम्पन्न हुई. तीनों नूतन साध्वीजी म. पूज्यपाद योगनिष्ठ आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी के समुदायवर्ति साध्वी म. सा. की शिष्याएं उद्घोषित हुए. नूतन साध्वीजी म. सा. के सांसारिक परिवार वालों में एवं पूज्य मुनिवरश्री निर्वाणसागरजी म. सा. के सांसारिक परिवार ने इस प्रसंग पर सुंदर सहयोग दिया. __* दि. २६.०४.९९ के दिन पूज्य पंन्यास प्रवरश्री अरुणोदयसागरजी म. सा. आदि मुनिवरों की शुभ निश्रा में श्री सिद्धपुर नगर में शेठ श्री अरणिकभाई कान्तिलाल शाह की ओर से परमात्म भक्ति स्वरूप श्री सिद्धचक्र महापूजन बड़े ही ठाट-बाट से पढाया गया. श्री अरणिकभाई के पिताजी की भावनानुसार उन्होनें उदार दिल से लाभ लिया. . * समर्थ जैनाचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा का महेसाणा नगरसे राजस्थान की ओर शासन प्रभावना हेतु विहार हुआ. पूज्यश्री का विहारस्थ अनेक गाँव-नगरों में गुरुभक्ति स्वरुप सामैया (स्वागत) हुआ. पूज्यश्री के प्रेरक प्रवचनों का हजारों लोगों ने लाभ पाया. पूज्य आचार्यश्री के युवा शिष्यरत्न मुनिश्री निर्मलसागरजी की सत्प्रेरणा से माउन्ट आबु में नव निर्मित 'श्री बुद्धिविहार' आध्यात्मिक साधना केन्द्र में पूज्य आचार्य श्री का पदार्पण हुआ. यहाँ से आप गढ़ सिवाना मुनिश्री विमलसागरजी म. सा. के सांसारिक माता-पिता श्री छगनलालजी जीवाजी बागरेचा के जीवित महोत्सव के निमित्त पधारे. यहाँ से पादरु - नाकोडाजी होते हुए आपश्री श्री घेवरचंदजी नाहर द्वारा नवनिर्मित श्री सिमंधर जिन मंदिर की प्रतिष्ठा सम्पन्न कर महेसाणा पधारे. यहाँ पर आपश्री एवं आपके गुरूदेवश्री की पावन निश्रामें नूतन दीक्षित (चार बाल मुनियों की व तीन साध्वीजीयों की) साधु-साध्वीजी म. की बड़ी दीक्षा विधि समारोह का आयोजन सम्पन्न कर साबरमती-रामनगर चातुर्मास हेतु पधारे. . * १ मई से ७ मई १९९९ तक जैन धार्मिक शिक्षण शिविर का आयोजन श्री रांतेज जैन तीर्थ की शीतलछाया में पू. पंन्यासश्री अरुणोदयसागरजी की पावन निश्रा में एक सफल फलश्रुति के रूप में सुसम्पन्न हुआ. बालकों को धार्मिक संस्कार प्रदान करने में निष्णात आपश्री का रांतेज से अहमदाबाद पदार्पण हुआ. वटवा आश्रम तथा राजनगर में विचरण करते हुए आपने गांधीनगर जैन संघ में चातुर्मास प्रवेश किया. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16