Book Title: Shrutsagar Ank 1999 09 009
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर, श्रावण 2055 धर्मस्य मूलं विनय: ___आचार्य श्री पद्मसागरसूरि परमात्मा महावीर का कथन है कि धर्म का जो मूल है, वह विनय है और विनय के द्वारा ही व्यक्ति प्रेम का साम्राज्य स्थापित कर सकता है, जगत में प्राणीमात्र के अन्तस्तल में अपना स्थान बना सकता है. इसमें सारे क्लेशों और कटुता का नाश करने की अपूर्व क्षमता समाहित है. नम्रता के द्वारा हम अपनी क्षमा की भावना प्रकट करते हैं. अपनी तिक्तता विसर्जित करते हैं. अपने वैर भाव को हम तिलांजलि दे देते हैं. अनन्त काल के संसार का भेद इसी नम्रता की क्रिया के द्वारा ही हम प्राप्त करते हैं. इसीलिए संसार के प्रत्येक धर्म के अन्दर सर्वप्रथम नमस्कार को महत्त्व दिया गया है. मंदिर जाएं, प्रभु का दर्शन करें, रास्ते में सन्त मिल जाएं, गुरूजन मिल जाएं तो नमस्कार अवश्य करें. घर के अन्दर अपने माता-पिता या बड़े भाई या जो भी घर में बड़े हैं, सर्वप्रथम व्यवहार में भी नमस्कार करें. कहीं पर जब आफिसर के पास काम कराने जाये तो वहां भी पहले ही नमस्ते, नमस्कार करते हैं. बड़ी अपूर्व क्रिया है. विलक्षण चमत्कार इस नमस्कार की क्रिया में अन्तर्निहित है. शुद्ध भाव से परमात्मा को किया हुआ नमस्कार मोक्ष का कारण बनता है. हमारे यहां प्रतिक्रम पाप की आलोचना की. जो सबसे श्रेष्ठ क्रिया है, उसमें स्पष्ट कह दिया गया है इक्को वि नमुक्कारो जिनवर-वसहस्स वद्धमाणस्स। संसार सागराओ तारेइ नरं व नारिं वा।। (अर्थात् जिनेश्वरों में उत्तम ऐसे श्री महावीर प्रभु को किया हुआ एक भी नमस्कार पुरुष अथवा नारी को संसार रूप सागर से तिरा देता है.) संसार के इस सागर से आत्मा तैरकर किनारा प्राप्त कर लेती है ऐसी अपूर्व क्रिया है इस नमस्कार में. इस लिए ग्रन्थकार ने सर्वप्रथम नमस्कार को महत्त्व दिया है. आपको मालूम होगा घर के अन्दर इलेक्ट्रिक स्विच आप रखते हैं और यदि स्विच ऑफ कर दें तो लाइट चली जाती है. स्विच जैसे ही ऊपर हुआ, उसका माथा गर्वेण तुंगं शिरः, गर्व से, अभिमान से उसका माथा आपने ऊँचा कर दिया, ऑफ कर दिया लाईट चली जाएगी, अन्धकार मिलेगा परन्तु जैसे ही स्विच आपने ऑन कर दिया, स्विच को नमा दिया तो उसमें नमस्कार का चमत्कार देखा - तुरन्त लाइट आ जाती है. यह मन का बटन है, मन का स्विच है. ___ मन को विपरीत करिये तो क्या बनता है- नम. मन का स्विच यदि आपने ऑन कर दिया, औंधा कर दिया और मिलेगी नमस्कार डिवाइन लाईट. अन्धकार में ज्ञान का प्रकाश आएगा. यह रहस्य है. मन के स्विच को ऑन करके रखिये. नमस्कारपूर्वक हरेक क्रिया करिये. नमस्कार की भावना से प्राप्त करने की उत्कण्ठा रखिये. सारी समस्या दूर हो जाएगी. मन का तनाव दूर हो जाएगा. मन को हल्का बना देगा. नमस्कार की क्रिया में यही रहस्य है. बडी प्रसन्नता होगी. अनेक व्यक्तियों की जब... [शेष पृष्ठ 15 पर Book Post/Printed Matter प्रेषक : सेवा में संपादक, श्रुत सागर आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा, गांधीनगर 382 009 (INDIA) फोन: (02712) 76252,76204, 76205 फेक्स : 91-2712-76249 प्रकाशक : सचिव, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा, गांधीनगर 382009. For Private and Personal Use Only

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