Book Title: Shrutsagar Ank 1999 09 009
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर, श्रावण २०५५ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा, गांधीनगर ३८२ ००९ श्री संघों को विनम्र अपील आपको विदित होगा कि राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्रीपद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से स्थापित श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र में स्थित आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर वर्तमानकाल के एक विशिष्ट एवं विलक्षण ज्ञानभंडार के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है. इस ज्ञानभंडार में २,५०,००० से ज्यादा प्राचीन हस्तप्रतें सुरक्षित हैं. इनमें ३००० से ज्यादा ताड़पत्रीय ग्रंथ भी है. छोटे-छोटे गाँवों में अस्त-व्यस्त पड़े और नष्टप्राय स्थिति को प्राप्त इस दुर्लभ संग्रह को परम पूज्य राष्ट्रसंत शासन प्रभावक श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. ने अपने अब तक के ८०,००० किलोमीटर से ज्यादा लम्बे विहार के दौरान एकत्रित करवा कर भारत में ही सुरक्षित एवं संरक्षित करने का अनुपम प्रयास किया है, जो समुचित ध्यान न दिये जाने पर नष्ट होने अथवा विदेशों में स्थानान्तरित होने का भय.था. साथ ही यहाँ ८५,००० से ज्यादा मुद्रित पुस्तकें भी हैं. यह उल्लेखनीय है कि इन सभी ग्रंथों की सूक्ष्मतम जानकारी खास विकसित की गई सूचीकरण प्रणाली के द्वारा सर्वप्रथम बार कम्प्यूटर में भरी जा रही है. ___इस कार्य को सोलह कम्प्यूटरों के उपयोग से नौ पंडितों (जो कम्प्यूटर के उपयोग के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित किए गए हैं) एवं अन्य अनेक सह कर्मचारियों के सहयोग से किया जा रहा है. इसी कार्य को आगे चल कर बृहत् जैन साहित्य एवं साहित्यकार कोश के रूप में विकसित करने की योजना है. इसी के तहत जैसलमेर, पाटण, खंभात एवं लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति मंदिर, अहमदाबाद ताडपत्रीय व अन्य विशिष्ट ग्रंथों की विस्तृत सूची कम्प्यूटर पर ली जा चुकी है (हमारे लिये गौरव का विषय है कि जैसलमेर भंडार संबंधी यहाँ उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग पूज्य मुनिराजश्री जंबूविजयजी ने भी जैसलमेर भंडार को व्यवस्थित करते समय एवं स्केनिंग के कार्य के समय किया था) एवं अन्य विशिष्ट भंडारों की सूची कम्प्यूटर पर लेने का कार्य क्रमशः जारी है. साथ ही अनेक भंडारों के विशिष्ट ग्रंथों की माइक्रो-फिल्म एवं जेरॉक्स नकलें भी एकत्र की गई है. इस कार्य के पूरा होते ही प्रायः समग्र उपलब्ध जैन साहित्य एवं साहित्यकारों की सूचनाएँ एक ही जगह से उपलब्ध हो सकेगी. - वैसे आज भी जैन साहित्य एवं साहित्यकारों के विषय में इस संस्था में जितनी सूचनाएँ उपलब्ध हैं वे अन्यत्र कहीं भी नहीं है. चूंकि यह ज्ञानमंदिर जैनों की नगरी अहमदाबाद के एकदम समीप स्थित हैं अतः पूज्य साधु-साध्वीजी म. सा., विद्वद्वर्ग एवं सामान्य श्रद्धालुजन भी इन सूचनाओं का महत्तम मात्रा में उपयोग कर रहें है. साथ ही यह प्रयास भी किया जा रहा है कि और भी ज्यादा लोग यहाँ की सूचनाओं/सुविधाओं का उपयोग करें. अपनी इस प्राचीन धरोहर सुसंरक्षित करने का यह कार्य अत्यंत ही श्रमसाध्य है एवं इस कार्य के वर्षों तक जारी रहने की संभावना है. उदाहरण के लिए अस्त-व्यस्त हो चुके बिखरे पन्नों वाले ग्रंथों के पत्रों का परस्पर मिलान कर के उन्हें पुनः इकट्ठा करने का प्राथमिक कार्य ही पंडितो का बहुत सा समय एवं श्रम माँग लेता है. इसके बाद संशुद्ध रूप से सूचीकरण हेतु हस्तप्रत संबद्ध लगभग आठ विविध प्रक्रियाएँ होती है. इतने विशाल पैमाने पर इस तरह का बहुउपयोगी कार्य सर्वप्रथम बार ही हो रहा है. यह कार्य ज्यों-ज्यों आगे बढता जाएगा, त्यों-त्यों जैन साहित्य के संशोधन एवं अभ्यास के क्षेत्र में एक नए युग का उदय होता जाएगा. निःसंदेह यह भगीरथ कार्य समूचे श्रीसंघ एवं जैन समाज का अपना कार्य है. इसी से हमें अपने साहित्य की समृद्धि एवं अपने गौरवपूर्ण इतिहास का विशेष बोध होगा. For Private and Personal Use Only

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