Book Title: Shrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
अप्रैल-२०१९ श्रीमद्भगवद्गीताना अढारे अध्याय एमणे वांच्या हता अने 'कर्मयोग' पुस्तकना रचयिता योगनिष्ठ आचार्यश्रीए आठ वखत 'भगवद्गीता'नुं वाचन कर्यु हतुं। ___सामान्य रीते सहु कोई एक गीताथी परिचित छे, ज्यारे आचार्यश्रीए सात गीताओनुं लेखन कर्यु, जेनां नाम छे आत्मदर्शनगीता, प्रेमगीता, गुरुगीता, जैनगीता, कृष्णगीता, अध्यात्मगीता अने महावीरगीता।
ए ज रीते एमणे आत्मा अने अध्यात्म विशे घणी विवेचना करी। महायोगी आनंदघनजीना पदोना भावार्थमां रहेली आध्यात्मिकता प्रगट करवानी साथोसाथ 'अध्यात्मशांति, 'आत्मप्रदीप, ‘आत्मतत्त्वदर्शन', 'आत्मशक्तिप्रकाश' अने 'आत्मप्रकाश' जेवा ग्रंथो लख्या। आ रीते आचार्यश्रीए जगतने विशाळ ग्रंथसमृद्धि अने अनुपम विचारसृष्टि आप्यां। ____ अर्वाचीन युगमां भाग्ये ज कोई आचार्यए योगनिष्ठ आचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजी जेटलुं वैविध्यपूर्ण काव्यसर्जन कर्यु हशे। एमना काव्यसर्जनोमां एमना आत्मलक्षी भव्य जीवननुं प्रतिबिंब पडे छ । एमनी दृष्टि काव्यना अनेक प्रकारो पर घूमी वळे छे। भजन, ऊर्मिगीत, राष्ट्रगीत, अवळवाणी, खंडकाव्य, काफी, चाबखा, गहुँली जेवा अनेक काव्यप्रकारो पर एमनी कलम आसानीथी विहरे छे अने एमां एमना हृदयना भावो अने आत्मानी मस्ती प्रगट थाय छ। ___ मात्र पंदरमावर्षे काव्यरचनानो प्रारंभ करनार बाळक (बेचरदास) बुद्धिसागरे दुहा, चोपाई, छंद अने सवैयामां प्रारंभिक कविताओ लखी, परंतु ए पछी एमनी निसर्गदत्त काव्यप्रतिभा एवी खिली के जेने परिणामे एमनी पासेथी विपुल काव्यसरितार्नु दर्शन थाय छ । एमनी विशाळ भावनासृष्टिने जोईए तो प्रभुभक्तिना काव्यथी राष्ट्रभक्तिना काव्य सुधी अने एथीय विशेष भावि युगनी कल्पना करतां काव्यो सुधीनी रचनाओ मळे छ । शास्त्रविशारद योगनिष्ठ आचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजीए एक बाजु भजन, पद अने स्तवननी रचना करी, तो बीजी बाजु ऊर्मिगीतो, प्रकृतिकाव्यो अने राष्ट्रभक्तिनां गीतोनुं सर्जन कर्यु, तो वळी त्रीजी तरफ एमनां काव्योमां आध्यात्मिक मस्ती अने नवा जमानानो सूर प्रगट थाय छे । योगनिष्ठ आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिश्वरजी पासेथी नरसिंह, मीरां के आनंदघननुं स्मरण करावे एवी काव्यरचनाओ मळे छे, तो बीजी बाजु कव्वाली अने गझल जेवा आधुनिक साहित्यस्वरूपोमां करेली रचनाओ मळे छ।
(क्रमशः)
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