Book Title: Shrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 14 अप्रैल-२०१९ उत्कृष्टपणे संयमधर्मनी आराधना करता परमपदने पाम्या तेनी विगते वात वर्णवी छ। प्रस्तुत कृतिकारे तेज शास्त्रग्रंथनो आधार लई अति संक्षिप्तमां ते ४ प्रत्येकबुद्धना चरित्रने वणी लीधुं छे। साथे साथे तेमना नामो कई रीते करकंडु, दुमुह, नग्गई पड्या तेनी माटे पण कविए केटलाक पद्यो फाळव्यां छे । कविनी रचनाशैली सरळ छे जेथी विशेष विवरणनी जरूर जणाती नथी। काव्यान्तनी सज्झायमां कविए ते चारे प्रत्येकबुद्ध यक्ष मंदिरमा भेगा थता घटनाना निरुपण द्वारा ते चारेना जीवदळनी निर्मळता पर प्रकाश पाथरी, विशेष चारित्र वांचन माटे उत्तराध्ययनसूत्रना उल्लेख पूर्वक स्वनामान्त वडे काव्य- समापन कर्यु छ। ____बीजी ऐतिहासिक कृति पण वाचक राजरत्नजीनी अप्रगट रचना छ। प्रत सं. ७९३४७ मां हस्तप्रतना अंतिम पृष्ठ पर लखायेली ते कृतिमां कवि आर्य महागिरिजीनी निर्दोष आहारचर्यानो विशेषे परिचय करावे छे। उपरोक्त कृतिनी जेम आ कृति पण भाषाकिय दृष्टिए सरळ तथा सुबोध छ । कर्ता परिचय___कृतिकारे कृतिमां क्यांय पोताना गच्छर्नु नाम के गुरुपरंपरा नोंधी नथी तेथी ते समयादि विशे अटकळ (ओळख) करवी अघरी छे, पण जैन गुर्जर कविओ प्रमाणे १७मी शताब्दिमा तपागच्छीय लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपरामां पं. जयरत्नना शिष्य उपा. राजरत्न नामे थया छे । जेमणे नर्मदासुंदरी रास, विजय शेठ-शेठाणी रास जेवी रचनाओ करी छे तेवी नोंध मळे छ । आपणी बीजी प्रतनी लेखन संवत् १७मां शतकना अंत्य भागनी छे तेथी पण अन्य राजरत्न कवि करता तपागच्छीय राजरत्ननो समय कृतिकार तरीके वधु संगत थाय छे, छता आ बाबत पर विद्वानो प्रकाश पाथरे तेवी आशा छ। प्रत परिचय__संपादनार्थे प्रस्तुत कृतिनी २ हस्तप्रतो आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबामांथी मळी हती। जेमांनी ७९३४७ नंबरनी हस्तप्रत करता ७६५९४ नंबरनी हस्तप्रत प्रतिलेखननी दृष्टिए शुद्ध लागता तेने ज आदर्श तरीके स्वीकारी छे। जो के बीजी प्रत पण सारी तो छ ज पण तेमां इ, उ ना पाठभेदो बाद करता ३-४ पाठ भेदो छे तेथी ते अहीं टिप्पण रूपे स्वीकारी छे । आर्य महागिरि सज्झाय कृति प्रत नं. ७९३४७मां छे, तेना आधारे तेनुं संपादन करेल छ । खास संपादनार्थे बन्ने हस्तप्रतोनी नकल आपवा बदल आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरना व्यवस्थापकोनो खूब खूब आभार। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36