Book Title: Shrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir April-2019 SHRUTSAGAR 15 ॥ चार प्रत्येकबुद्ध सज्झाय ॥ GO॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ।। राग-परगीउ ।। बलदेव मुनिवर तप तपइ नि ए देशी॥ देस कलिंगई नगरी चंपा, दधिवाहन नरनाथ रे। मात पदमावती-नंदन, भविक सदगति साथ रे ॥१॥ वंदीइ करकंडू मुनिवर, जेणई करिउ सवि त्याग रे।। देखी प्रत्यय चतुर चेत्यउ, थयु मुनि महाभाग रे वंदीइ... (आंचली) ॥२॥ एक वार राजा राज करंता, गोकुल देखणि जाइ रे। धवल एक सुभ लक्ष्य(क्षण) लक्षित, दीठउ वत्स समाइरे वंदीइ... ॥३॥ गोकुली प्रति कहइ नरेसर, एहनइं परिघल दूध रे। पाई पोढउ प्रबल करये, वृषभवंश विशुद्ध रे वंदीइ... ॥४॥ विविध युगतई भली भगतिइं, करिउं यौवनवंत रे। सींग तीखां खंध जाडु(ड)उं, कोमल पुच्छ' सुदंत रे वंदीइ.. ॥५॥ मलपतु विचरइ निरंतर, साहिउ न रहइ केम रे। भमर पांशु दोष वर्जित, ऊंचउ पर्वत जेम रे वंदीई.. ॥६॥ धाइ धूंसइ धवल धींगट', निबल वृषभनइं नित्त रे। त्रासवइ घण घाय घालइ, बाडूकई मयमत्त रे वंदीइ... ॥७॥ एक दिनि नृप-दृष्टि पडीउ, मुदित मातउ संड रे। चित्ति चमक्यु रूप देखी, अतुल बल परचंड रे वंदीइ... ॥८॥ दिवस केते वली नरपति, देखइ गोकुल-वृंद रे। एक देशइं पडियउ बरलइ, वृषभ गरढउ२ मंद रे वंदीइ... ॥९॥ हाली चाली नवि सकइ ते, जर-जर्जर तन्न रे। नेत्रि आंसू सींग ढलीआं, कुत्थित दीसइ कन्न रे वंदीइ... ॥१०॥ कहइ राजा वृषभ कुण ए, गोकुली कहि वात रे। स्वामि वल्लभ वृषभ तुम्हचउ, हुई तस ए धात५ रे वंदीइ... ॥११॥ १. दोडी, २. नाश करे, ३. मजबूत, ४. नबळा, ५. त्रास पमाडे, ६. गाढ, ७. प्रहार, ८. करे, ९. ताडूके, १०. उन्मत्त, ११. बबडाट करे, १२. घरडु, १३. मांदु/धीमुं, १४. खराब, /1.पाठांतर-पूंछ, १५. दशा, For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36