Book Title: Shrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR April-2019 श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का योगदान राहुल आर. त्रिवेदी सम्पूर्ण भारतवर्ष में अनेक संस्थाएँ स्थापित हैं जो धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय व अनुकरणीय कार्य कर रही हैं । ये संस्थाएँ अनेक प्रकार की होती हैं, प्रथम वे जो मुख्य रूप से व्यक्ति के धार्मिक व आध्यात्मिक उत्कर्ष को ध्यान में रखकर स्थापित की जाती हैं। ऐसी संस्थाओं का मूल उद्देश्य व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास करना है। दूसरी वे संस्थाएँ, जो व्यक्ति या समाज के भौतिक विकास को ध्यान में रखकर स्थापित की जाती है। ऐसी संस्थाओं का मूल उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के मानवसमाज की सेवा करनी होती है । आज हम एक ऐसी संस्था की बात करने जा रहे हैं कि जिसमें इन दोनों प्रकारों का सुभग समन्वय है । एक ऐसी संस्था जो देश व समाज की विरासतों के संरक्षण व संवर्द्धन के उद्देश्य को ध्यान में रखकर स्थापित की गई है, जहाँ बड़े पैमाने पर जैनधर्म, भारतीय संस्कृति, इतिहास तथा पुरातत्त्व से सम्बन्धित दुर्लभ वस्तुओं, पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का विशाल संग्रह किया गया है तथा उसका विस्तृत व अनूठा सूचीकरण कर समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का भगीरथ कार्य किया जा रहा है । यह संस्था आज श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध हो चुकी है । श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा आज इतना प्रसिद्ध हो गया है कि इसके साथ तीन नाम जुड गए हैं- राष्ट्रसन्त आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से विकसित महावीरालय, आचार्य श्री कैलाससागरसूरिजी म.सा. की पावन स्मृति (गुरुमंदिर) तथा अपने आप में अनुपम आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर। इनमें से किसी एक का भी नाम लेने पर स्वतः ये तीनों स्वरूप उभरकर सामने आ जाते हैं। आज ये तीनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। ___ गच्छाधिपति महान जैनाचार्य श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. की यह इच्छा थी कि अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच एक ऐसी संस्था की स्थापना हो, जहाँ अध्यात्म के साथ-साथ ज्ञान की भी सुन्दर साधना की जा सके, उनके प्रशिष्य युगद्रष्टा, राष्ट्रसंत, आचार्य प्रवर श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. ने पूज्य गच्छाधिपति के सपनों को साकार करते हुए श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र तथा For Private and Personal Use Only

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