Book Title: Shrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR April-2019 जिंदगीना अंत सुधी लगभग चालु ज रहेशे।' भारतीय संस्कृतिनी एक अजोड विचारधारा ते कर्मयोगनी विचारधारा छ। श्रीमद्भगवद्गीतामां श्रीकृष्णना मुखेथी अर्जुननो विषादयोग दूर करवा माटे कर्मयोगर्नु निरूपण थयु छे । आ कर्मयोग विशे श्रीमद्भगवद्गीताना श्लोको साथे एनुं जमाने जमाने महात्माओ, संतो अने विचारकोए विवेचन कर्यु छ । स्वामी विवेकानंद, श्री मणिलाल नभुभाई, लोकमान्य तिलक अने संत विनोबा जेवी व्यक्तिओ अने बीजा अनेक साधु-महात्माओए आना पर पोतानी दृष्टिथी विवरण-विवेचन कर्यु छ । ___आश्चर्यनी वात ए छे के योगनिष्ठ आचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजीए कर्मयोगनी विचारधाराने दर्शावता ग्रंथ पर विवरण करवाने बदले पोते जाते २७२ संस्कृत श्लोको रचीने जीवननो निचोड आप्यो छे अने आ कर्मयोगमां एमना गहन तत्त्वज्ञान अने योगविद्याना विशाळ ज्ञाननो मधुर सुमेळ निरखवा मळे छ। आवा गहन विषयने आध्यात्मिक भावनानो ऊर्ध्व रसपूट आपीने एनी छणावट करी छे अने अध्यात्मज्ञान वडे आत्मोन्नतिना चरम शिखरे पहोंचवानी भूमिका रची आपी छ। __ १९६६मां 'कर्मयोग' ग्रंथ लखवानो विचार कर्यो। १९७०मां एना केटलाक श्लोकोनी रचना करी अने वि.सं. १९७३ना महा सुदी पूनमे रचायेला १०२५ पृष्ठना आ ग्रंथमां पचास पृष्ठनी तो प्रस्तावना छे अने जैन आचार्य द्वारा लखायेलो होवा छतां एना अनेकांतवादी दृष्टिकोणमां गीतानो जयध्वनि अने कुराननी आयतोनो दिव्य नाद संभळाय छ। आमां प्रवृत्तिमां निवृत्तिनो संदेश प्रवाही अने प्रासादिक गद्यमां दृष्टांत सहित आलेखवामां आव्यो छे। ___ आ ग्रंथ ज्यारे तैयार थईने छपातो हतो, त्यारे एना छापेला फर्मा लोकमान्य तिलकने अभिप्राय अर्थे मोकल्या हता, त्यारे लोकमान्य तिलके लख्यु, 'जो मने शरूआतमां खबर होत के तमे 'कर्मयोग' ग्रंथ लखी रह्या छो, तो में कर्मयोग विशे लख्यु न होत। आ ग्रंथ वांची हुं घणो प्रसन्न थयो छु । मने आनंद छे के भारत देश आवी ग्रंथरचना करनार साधु धरावे छ।' ___ योगनिष्ठ आचार्यश्रीए एमना जीवनमां आशरे दस हजारथी वधारे पुस्तको, वाचन कर्यु हतुं । आ पुस्तकोमा धार्मिक ग्रंथो तो खराज, परंतु एउपरांत इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति वगेरे विषयक ग्रंथोनुं वाचन कर्यु हतुं । विहारमा होय के चातुर्मासमां होय, पण एमनी वाचनयात्रा अविरतपणे चालु रहेती हती। वेद, उपनिषद, भगवद्गीता, पुराणो, सांख्य शास्त्रो, बौद्ध धर्म विशेना महत्त्वना ग्रंथो, बाईबल, कुरान वगेरेनुं वांचन कर्यु हतुं। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36