Book Title: Shrutsagar 2017 09 Volume 04 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में सादर समर्पित करते हुए हमें अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। ___ इस अंक में गुरुवाणी शीर्षक के अन्तर्गत योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “अनुभव बत्रीशी” प्रकाशित की जा रही है। इस कृति में बत्तीस दोहों के माध्यम से जीव के आत्मस्वरूप का वर्णन किया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। ___ अप्रकाशित कृति प्रकाशन स्तंभ के अन्तर्गत इस अंक में गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी म. सा. द्वारा संपादित “संवेगकुलक: एक वैराग्यप्रेरक रचना" प्रकाशित की जा रही है, जो अद्यावधि सम्भवतः अप्रकाशित है। प्राकृत भाषानिबद्ध इस कृति की चौदह गाथाओं में स्त्री के अंग-प्रत्यंग की अशुचियों का वर्णन किया गया है। इस कृति के भाव अंतःकरण में वैराग्य उत्पन्न करनेवाले हैं। दूसरी कृति आर्य मेहुलप्रभसागरजी म. सा. के द्वारा संपादित “आचार्य श्रीजिनलब्धिसूरि विरचित सामायिक बत्तीस दूषण कथन सज्झाय” है, जिसके अन्तर्गत सामायिक के बत्तीस दोषों का वर्णन किया गया है. पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में महावीरस्वामी के बाद के १००० वर्षों की गुरु परंपरा के अन्तर्गत आर्य महागिरिसूरि से आर्य सिंहगिरिसूरि तक की परंपरा का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है। अन्त में कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि- अमदावाद द्वारा प्रकाशित सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण की ढुंढिकावृत्ति की समीक्षा प्रस्तुत की गई है. आशा है, इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे अगले अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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