Book Title: Shrutsagar 2017 09 Volume 04 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक समीक्षा श्रीमति जागृति प्रजापति पुस्तक नाम : व्युत्पत्तिदीपिकाभिधान-ढुण्ढिक्या समर्थितं सिद्धहेमप्राकृत व्याकरणम् संपादक : उपाध्याय श्री विमलकीर्तिविजय म.सा. प्रकाशक : कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि-अमदावाद प्रकाशन वर्ष : वि.सं.- २०७३(इ.स.- २०१७) भाग मूल्य : ६००/विषय : सिद्धहेमशब्दानुशासननां अष्टम अध्याय पर श्री उदयसौभाग्य गणि विरचित ढुंढिका वृत्तिनुं समीक्षात्मक संपादन. कलिकालसर्वज्ञ आचार्य श्री हेमचंद्रसूरि रचित सिद्धहेमशब्दानुशासन नामथी विद्वज्जगतमां वळी कोण अजाण छे? ८ अध्याय, ३२ पाद अने ४६८५ सूत्रोमां गंथायेली आ रचना मात्र संस्कृत ज नहिं परंतु प्राकृत भाषानां व्याकरण ग्रंथोमां पण मोखरा- स्थान धरावे छे. संस्कृतव्याकरण माटे प्रारंभिक ७ अध्यायमां कुल ३५६६ सूत्रो छे, ज्यारे प्राकृतव्याकरण माटेनां आठमां अध्यायमां कुल १११९ सूत्रो छे. सिद्धहेमशब्दानुशासन पर अनेकविध नानी-मोटी रचनाओ घणां विद्वानो द्वारा रचयेली छे, जेमां स्वोपज्ञ लघु, मध्यम, बृहद्वृत्ति जेवी अन्यान्य रचनाओ समाविष्ट छे. तेमांनी एक छे ढुंढिका वृत्ति. संस्कृतव्याकरणनां सात अध्यायो परनी अज्ञातकर्तृक ढुंढिका वृत्ति पण उपाध्याय श्रीविमलकीर्तिविजयजी संपादित तथा कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि द्वारा वि.सं.- २०६५-७० दरमियान ७ भागोमां प्रकाशित थइ छे अने आठमां अध्यायनी ढूंढिका आशरे १५मी सदीमां थइ गयेल आचार्य श्री सौभाग्यसागरसूरिजीनां शिष्य गणि श्री उदयसौभाग्यजीए रची छे. प्रस्तुत ग्रंथ प्राकृत भाषानां विद्वानो माटे खूब महत्त्वपूर्ण छे. आचार्य श्रीविजयशीलचंद्रसूरिजी म.सा.नां शिष्यरत्न उपाध्याय श्री विमलकीर्तिविजयजीए For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36