Book Title: Shrutsagar 2017 09 Volume 04 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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September-2017
॥१९॥
॥२०॥
॥२१॥
SHRUTSAGAR
कूड कलंक तणे परभावे, आतमा दुरगति मांहि गमावे। देखो विगूति रोहिणी नारी, कूडा आल तणि अधिकारी भाखे नवि मरषावय वाणी, दूषण तीजो मन मांहि जाणी। चौथे नवि वरतै निजछंदे, सूत संक्षेप कहे मति मंदे कलह करे जिण तिण संघाते, छट्ठो दूषण होय इण नाते। विकथा च्यार करै ऊमाई, सातमे दूषण दीधी साई हासो रामत केल कत्तूहल, वरजे आठमे थानिक अतिभल । पद संपद नवि राखे नवमें, गमणागमण ए दूषण दसमे
॥२२॥ ए दश दूषण वयण ना टाले, सूधो मन मांहि अरथ संभाले। मनना दूषण दस छे तिम वलि, पालेवा व्रतधर तिम वलि वलि ॥२३॥
॥ढाल ३॥ इंद्र प्रसंसा सांभलीजी एहनी॥ ग्यांन अने किरिया भलीजी, ए बे साधन मोख। पिण जो न मिले एकठाजी, ते मोटो होये दोष ।। विचारी सामायक ग्रहि सार, भवसायर वूडंतडांजी, ए प्रवहण उणहार,
_ विचारी सामायिक ग्रहि सार ।।२४।। ग्यांन विगर किरिया किसीजी, किरीया विण स्यों ग्यांन। अंध अने पंगुल तणोजी, इहां दृष्टांत प्रमाण विचारी सामायिक... ॥२५॥ किरिया विण तिरवो नहीजी, उत्तराध्ययन री साख। इण नाणी किरिया करेजी, तो हुवै मोल ज लाख विचारी सामायिक...॥२६।। नाण अधिक न लहे क्रियाजी, न आणे मन सुविवेक। तो उपजे दषण सहीजी, पहिलो मन रो एक विचारी सामायिक...॥२७॥ जसकीरति चाहें करेजी, सकल वरत उच्चार। तो हुई दूषण दूसरोजी, तीजे करे अहंकार विचारी सामायिक...॥२८॥ तप करि वंछे लाभनेजी, चौथो दूषण एह । ते तितरो फल तेहनोजी, नहीं परलोक प्रमाण विचारी सामायिक..॥२९॥ पूत कलत्र पररिद्धिनोजी, नीयाणो परलोक। करे न वंछे धरमने जी, सामायक तसु फोक विचारी सामायिक...॥३०॥
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