Book Title: Shrutsagar 2017 09 Volume 04 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥३३॥ श्रुतसागर 20 सितम्बर-२०१७ अविनय भय आसातनाजी, संसय ने वलि रोस । टालेवा सामायकेजी, ए मन रा दस दोष विचारी सामायिक...॥३१॥ ॥ ढाल ४॥ तप ऊजमणो रे मुनिवर दाखवे एहनी॥ इण परि दोष बत्तीसे भाखीया, श्रीजिनवर वर्धमान । सामायक व्रत नर जे आदरै, तास जनम सुप्रमाण ॥३२॥ बारह व्रत सारीखा जिन कह्या, समता होड न होय । सूधी विध पालंता प्राणीयां, आतम तारक होय निरुपम पद पद संपद पामीये, समता भाव प्रसाद। इम जाणी ए व्रत भल संग्रहो, टाली सकल विखवाद ॥कलश॥ इम वीर जिणवर जगत हितकर जगतपति जगदीस ए। उपगार कारण दोष समता उपदिसे बत्तीस ए॥ सभ भाव भावे व्रत सामायक आणि मन भल आसता। इम कहे श्री जिनलबधिसूरिज ते लहे सुख सासता ॥ इति सामायक बत्तीस दूषण कथन सज्झाय ॥ ॥३४॥ ॥३५॥ क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं ? पुस्तकें भेंट में दी जाती हैं आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य तथा प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं की भेंट में आई बहमूल्य पुस्तकों की अधिक नकलों का अतिविशाल संग्रह है, जो हम किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देते हैं. ___यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी. For Private and Personal Use Only

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