Book Title: Shrutsagar 2015 07 08 Volume 01 02 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 SHRUTSAGAR July-Aug-2015 होने के कारण परस्पर एक-दूसरे का भ्रम उत्पन्न करते हैं। अतः हस्तप्रत पढते समय इन वर्गों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हलन्त-चिह्न लेखन प्रक्रिया इस लिपि में हलन्त के लिए (१) चिह्न प्रयुक्त हुआ है, जो अन्तिम वर्ण की शिरोरेखा के साथ जोडकर ऊपर से नीचे की ओर किंचित दाईं ओर घुमाकर लगाया जाता है। यह चिह्न कभी-कभी पूर्णविराम अथवा 'आ' की मात्रा का श्रम भी उत्पन्न करता है। उदाहरण स्वरूप यहाँ कुछ वर्षों में हलन्त चिह्न लगाकर इस प्रक्रिया को निम्नवत् समझा जा सकता है क ट् । त् । न् । म् कराउन भर - - - विदित् हो कि हलन्त चिह्न युक्त वर्गों के साथ जब 'र' जोडते हैं तो उस वर्ण के नीचे की ओर (1) इस प्रकार का चिह्न लगाकर लिखा जाता है। यथा - to ६ क 7 s +Hartal amasomeomkuwarnimes otto tot he - - - - - अवग्रह चिह्न लेखन प्रक्रिया इस लिपि में अवग्रह के लिए (s) चिह्न प्रयुक्त हुआ है जो आधुनिक देवनागरी में अद्यपर्यन्त प्रचलित है। यथा- केऽथि For Private and Personal Use Only

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