Book Title: Shrutsagar 2015 07 08 Volume 01 02 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 26 श्रुतसागर जुलाई-अगस्त-२०१५ योग्य पाठ का अवगाहन करना चाहिए। विदित हो कि शारदा लिपिबद्ध पाण्डुलिपियों में 'ष्ट' या 'ष्ठ लिखने के लिए यह द्वितीय प्रयोग ही अधिक देखने को मिलता है। अतः इसे ध्यान में रखना चाहिए। ये दोनों प्रयोग निम्नवत हैं - ष् + ट = ष्ट घट,धू - ष् +ठ = ष्ठ घर+0:धू.पू वृष्टि -- तीर्थकर अरिहन्त सिद्ध आचार्य ब्राह्मी शारदा 5 रूपू ओष्ठ धुडवू वधि काबू पृष्ठभ , मधू । शारदा लिपि में लेखन अभ्यास जीजर | पूजा अर, पुर द्विारा कृष्ण ज भि निरञ्जन झियाद मल, मुल मदन उल, जुल सुचना मदासुद सुन्दरी स्वच्छ मुग्ध चर्चा अर्जुन - - सूक्ष्म मक, मुझ मय, मुया - - | शून्य प्रार्थना अर्चना मिलन घाऊन अन्ना स्थूल ओष्ठ उधू, उधू इच्छा लज्जा For Private and Personal Use Only

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