Book Title: Shashti Shatak Prakaran
Author(s): Nemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
Publisher: Maharaja Sayajirav Vishvavidyalay

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Page 210
________________ ' षष्टिशतक 'नी प्राकृत गाथाओनी सूचि [ गाथाओनां प्रतीको सामेनो अंक पृष्ठांक सूचवे छे. ] ..अङ्गमिच्छवास निक्किट्ठ अइसयपावियपावा अजया अपाविट्ठा सुद्धगुरू अज्ज वि गुरुणो गुणिणो . अप्पा वि जाण वइरी . अम्हाण रायरोसो कस्सुवरिं अरिहं देवो सुगुरु सुद्धं अयं पुणो अहन्नो ता अवा सरलसहावा सुअणा अहिमाणविसोवसमत्थयं च आणारहि कोहाइसंजुअ आरंभजम्मि पावे जीवा अरजण संसणा घट्ठा इराण वि उवहासं तमजुत्तं इको विन संदेहो जं 'इक्कं पि महादुक्खं इराणं ठकुराणं आणाभंगेण - इंदो वि ताण पणमइ हीलंतो उस्सुत्तभास गाणं बोहीनासो उस्सुत्तमायरंत विठवंति एगो सुगुरू गा वि सावगा एगं पिअमरणदुहं एवं भंडारि अनेमिचंदरइयाओ १५७ ३४ १३० १०९ १.१८ • किरिया फडाडोवं अहियं १०६ | किवि कुलकमम्मि रत्ता किं भणिमो किं करिमो किं सो वि जणणिजाओ ६६. कुग्गहगह गहियाणं मूढो १४५ कुगुरु वि संसिमो हं कुंड उत्थी नवमी बारसी को असुआणं दोसो जं ३ १३६ ५९ १३ ६० ६५ २० ११४ १०० ८८ कइया होहि दिवसो जइया कट्ठे करंति अप्पं दमंति कहिअं पिसुद्धधम्मं काहि किच्चं पि धम्मकिचं ६१ ७६ गयविहवा वि सविहवा सहिआ गिहवावार परिस्सम खिन्नाण गिवावारविमुक्के बहुमुणि लोए गुरुण भट्टा जाया सड्ढे छति निययजीअं तणं व जर जाणसि जिणणाहो जइ तं वंदसि पुज्जसि वयणं जइ न कुणसि तवचरणं १५० | जइवि हु उत्तमसावयपयडीए जइ सव्वसावयाणं एगत्तं १५९ | जगगुरुजिणस्स वयणं सगलाण १११ १२८ ५० ११३ ४९ १०२ ७६ ४४ ८२ १७ . ४५ ७९ ६४ ९० २५ ६७ ३६ ८९ १४८ १३१ ५ १५५ ५५ १०१

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