Book Title: Setu Sansarthi Muktino
Author(s): Krupabodhvijay, Sanyambodhivijay
Publisher: Jainam Parivar

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Page 8
________________ પૂજ્યપાદ ગચ્છાધિપતિશ્રીનો खनुज्ञापत्र अनी उ परमात्मा सर्वोईए ५न्दी 20वे दावे देश-देखो सर्वात ध्या पूर्व शासन - मोजमार्ग अपना खाया नेधाद तेनेनिन उहे बाऊ नेयो ने धर्मस्थाप लेने नैनधनबाद- तेघामने स्थाझरणार आराधनार माननार ने नैन उहबाद साया प्रदृष्टन्द्र यने शक्ति शाजी धनार परमात्मा नैनधर्मण थाप अदमको साझयो छे खेअवश्य साध्‌या बाहन शासनदाप सेमनु शासन ने साझदेछे नेमांस दम स्वारणारा संदमा उतार लेमना मुख्य शिवालयो अनुपादियो जननार साउद संज्यामां नादन होय छे लेमने गएराघर उईवाद पहन इसाबारे ते सर्जरी काय परंतु रोमने प्रभुना आशिसहित खेदस प्रयासभा खेदनुज्ञान जिस किया मूद तरत प्रगढ़ ाद छेन्ड लभकलो रोमने पला सक्दा मान‌वा प्रदायछ देखावा जे महापुरुषो 'सर्वज्ञवास्त धिक उसने दा सर्वही बलोदा छता वास्ताधर्ड उपसा जने संक्रमे श्री तीर्थहरु लगवान अन श्री गारावर लगवान कई याद छे श्री तार लगवान रोड गणे 1 141 लत होकमी लोक भाकाय परंतु खेल लगदानना आावाप्र‌लावन्द शाजी गएरधर शिक समय तनने आाद- जघा गुरुलाधओ अपने प्रायः समाना शक्ति घाया परमात्मा समवेदाला अंता होय हो श्री परमात्‌माना हाधे सोमना अज शिवाय आगाहर लगयको 45% Goy देना वध परमात्यादवान्द ज्ञान परमाने या शासन प्ररूपेछे रुने योग्य शिष्योने शासन बहन डि‌वा संलासता स्थले छे स्थापना पूर्वी परमात्मा योग्य कोने संतिम रोमना माओना डिनररूपे संजितमा सिपाहिनु ज्ञान छे रुने सेशताब्दी पोताने मर्जसङ्गीतका अबधी प्रभुना प्रलाप खनेपुन्यथा शासन मादेना सर्व‌प्र‌कारना मार्गो उपायों विघानो तत्यो पगेरे सुचाध रूपे रयेोधेनियन विद्येतेमा प्रभुने बवाज आपले संजिफ अरुपये अने गाइरहेको सूत्ररूप जार संगरये छे रुने सेनो अर्थ विस्तारखे आ दिया जाइ तर लगान

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