Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ 2 अनुक्रमणिका. - सद्यायनुं नाम. सद्यायप्रथम पद. ढाल. पृण १६७ वैराग्यकारक सद्याय सुण बहेनी पियुडो -शए १६७ आत्माने उपदेशनी सद्याय. जीव वारं वं मोरा. १-२४ए १६ए उपदेशनी सद्याय. रात दिवस काया मूढ पोषे.१-२५० १७० ते सुखीयानी सद्याय. ते सुखीया नाश्ते सुण १- १७१ पूर्वसेवालदाण सद्याय. नव्यने कर्मना योगथी. १-२५१ १७२ पन्नरतिथिनी उपदेशकारकस० भीमजोडी जगधणी. १५-२५५ १७३ सतासतीनी सद्याय. सुननात नित्य वंदियें. १-२६५ १७४ रात्रिनोर्जननी सहाय ' श्री गुरुपद प्रणमी..', १-२६३ १७५ हित शिदानी सद्याया आप सदा समजावे. १-२६५ १७६ कायारूप कामिनीकृत जन्स. सुगुण सोनोगी हो. . . .१-२६६ १७७ श्रावकनां बार व्रतनी साय. श्रीजिनवीर वदे शुल वाण.५-२६७ १७७ श्रढार नातरांनी सद्याय पहेलाने समरुपासपंचासरोरे३-२७० १७ए दशवैकालिकनी सद्याय श्रीगुरुपद.पंकज नमीजी. ११-२७३ १७ विजयकुंवर ने विजयाकुंबरीसा श्रीवीतरागजिन देव नमुं. १-२७२ ११ कांकरीया मुनिनी सद्याय. सरस्वतीचरणे शीश नमावी.४-२४ १२ चंदनबालानी सद्याय. श्रीसरखतीना रे पाय. ३-२ १०३ श्कुकारकमलावतीषढालीयु.बोबीशे जिनवर नमुं. ६-ए। १७४ कलावतीनुं चोढालीयु. . सालवदेश मनोहलं. ४-एy १७५ श्री अर्हन्नकमुनिनो रास. . सरसतीसामिणी बिनवू रे. ७-३०१ १६ कामकंदर्पनी सद्याय. कामविकारे मानवी रे. १-३०७ १७७ नेमराजुलनी सद्याय. . गोखमें सखीयो संघात. १-३०७ १७ आत्मशिक्षा सद्याय. . नविकजन नज ले रे.' १-३०ए रए जंबुकुमारनुं चोढालीयु. . सरसती पदपंकजनमी. ४-३११ रए नेमराजुलनो बारमासो. सरसती सामिणी विनQ. १-३१३ रएर जीवशिखामणनी सद्याय सरसती सामिनी विनवुए. १-३१४ रए उपशम सद्याय.' नगवती नारती मन ध० १-३१७ रए३ अर्जुनमालीनी सद्याय. सगुरुचरणे नमि कई सार. १-३१७ रए श्रीजनरख अने जन पाण्चोढाण्अनंत सिकागें हुवा. ४-३२० -

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