Book Title: Sazzayamala Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ अनुक्रमणिका. - सद्यायनुं नाम. सद्याय, प्रथम पद. ढाल. पृ० २११ सुगुरु सद्याय. . सशुरु एवा सेवीयें. ४-१४६ ११२ पृथ्वी सचित्त अचित्त स... प्रथम नमुं सहगुण .. १-१४ए १९३ कर्मपञ्चीशीनी-सद्याय. पेख करमगति प्राप -१४ १९४ मनःस्थिरकरण सयाय. मन थिर करजो रे. १-१५० ११५ नेमराजुलना पत्ररूप स० स्वस्ति श्री रेवगिरिव १-२५१ १९६ घडपणनी सद्याय. घडपण कां तुं धावियो. १-२५२ ११७ आत्महित शिक्षा सद्याय. प्यारी ते पियुने एम. १-१५३ ११७ श्री सीता सतीनी सद्याय. सरस्वती नगवती नारती. १-१५४ ११ए आत्मशिदा सद्याय. समय संजालो रेबाखर० १-२५६ १२० आत्मा उपर सद्याय. सुमति सदा सुकुलिणी. १-२५६ १२१ आशातनानी सद्याय. श्री जिनवरने करीप्र०१-२५७ १२२ संसार स्वरूप सद्याय. संसारे रे जीव अनंतः १-२५७ १५३ प्रमादवर्जन सद्याय. अजरामर जगको न०१-१५॥ १५४ संग्राम सोनीनी सद्याय. श्री संखेश्वर पाय नमी. १-१५ए १२५ चेलणानी सद्याय. वीर वंदी घेर आवतां जी. १-१६० १५६ शीखामणनी सद्याय. कामिनी कहे निजकंथने. १--१६१ १२७ कायापुर पाटणनी सद्याय. कायापुर पाटण रूयहूं. १-२६५ १२७ मांकडनी सद्याय. मांकडनो चटको दोहीलो. १--१६२ १२ए होकानी सद्याय. होको रे होको रे शुं करो रे. १--१६३ १३० बादशाह प्रतिबोधन सद्याय. या दुनियां फना फरमाए. १-१६४ १३१ श्रीप्रतिक्रमणहेतुगर्जित स. श्री जिनवर प्रणमी कण १५-१६४ १३३ शीयल विषे सद्याय. सोमविमल गुरु पय नमी० १-१७७ १३३ पनरतिथि सद्याय. सकल विद्यावरदायिनी. --१७ए' १३४ रेंटीयानी सद्याय. वारे अमने रेंटियो वा० . १--१७० १३५ घीनी सद्याय. नवियण नाव घणो धरी. १-१५ २३६ स्त्रीनेशिखामणनी सद्याय. नाथ कहे तुं सुण रे नारी. १-१३ १३७ बार जावनानी सद्याय. विमलकुलकमलना हंस तुंण १४-१४ १३० अष्टमीनी स. श्री सरस्वती चरणे नमी. १-१एण - - - - -Page Navigation
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