Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ अनुक्रमणिका. - सद्यायनुं नाम. सद्यायतुं प्रथम पद. ढाल. पृ. ३ अध्यात्मनी सद्याय. शांतिसुधारस कुंभमां. १-- ज्४ मधुबिंजुआना दृष्टांतनी स० सरस्वती मुफ रे. १-एG वैराग्यकारक सद्याय.. कां नवि चिंते हो चित्तमें. १-- ७६ परस्त्रीत्यागनी सद्याय. प्र[साथे जो प्रीत वंडो तो. १-एए स्त्रीवर्जन शीखामणनी स धर्म जणी जातां धराजी. १-१०० परस्त्रीवर्जननी सद्याय. शीख सुणो पियु माहार-२०० 'ए दश दृष्टांताधिकारनी सण प्रेमे पास जिणंदना. १-२०१ ए समकितनी चोपाश्नी स० धुर प्राणमुं जिनवर च०१-१२२ ए१ श्री सुगुरुपञ्चीशीनी स० सुगुरु पीबाणो ण आचारे. १-१२४ एए आत्म शिदा सद्याय. आतमरामे रे मुनि रमे. १-२२५ ए३ मायानी सद्याय. माया कारमी रे माया मत १-२२६ ए४ शीयल विष सद्याय. रखे कोइ रमणीरागमां. १-१२६ एए कृतकर्म उपर सद्याय. सुखपुःख सरज्यां पामीयें रे.१-१२७ ए६ वणजारानी सद्याय. नरजव नयर सोहामणुं. १-२२७ ए सुमति विलाप सद्याय. पड़जो कुमति गढना कांगरा.१-१२७ ए कुगुरुपच्चीशीनी सण श्रीजिनवर प्रणमुं मुदा. -- एए शांतिनाथनोदशपमेघण्तेनीसदशमे नवे श्री शांतिजी. १--१३० १०० एलाचीकुमारनी सण. नाम एलापुत्र जाणी. १-२३१ १०१ मनकमुनिनी सद्याय. नमो नमो मनकमहामुनि. १-१३२ १०२ उपदेश बत्रीशी सद्याय. आतमराम सयाने तुं तो. १--१३३ १०३ रहनेमीजीनी सद्याय. रहनेमी अंबर विण १-१३५. १०४ हित शिदोपदेश सद्याय. प्रथम प्रणमुं सरस्वती पाय. १--१३७ १०५ श्री आमदनी सद्याय. मद आठ महामुनि वाण १-१३७ १०६ शीखामणनी स०, चड्या पड्यानो अंतर सम० १-१३ए १०७ वैराग्यकारक सण ए संसार असार डे रे. --१५ १७७ चगति वेलनी सण वर्धमान जिन वीन. ६-१४२ १०एं अनदय अनंतकाय स० जिन शासन रे सूधि. १-१४४ ११० असद्याश्वारकनी स पवयण देवी समरी मातः १-१४५ - -

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 425