Book Title: Satya Dipak ki Jwalant Jyot Author(s): Kiranyashashreeji Publisher: Atmanand Jain SabhaPage 13
________________ हार्दिक समर्पण 02 TITTER माध्य समुद्र सूरीश्वरजी परम्परा के समर्थ तके संजोये हुए मेरे अनेक लों के उजागर कर्ताः *श्री आत्म-वल्लभम.सा. की पट्ट परम्परा के एवं विशिष्ट संवाहक * सामाजिक गगनांच तेजस्वी तारक में पर्दापण हेतु अपूर्व *संशोधन क्षेत्र एवं अमूल्य परामर्शदाता यात्म ज्ञान-कंवल को *जन-जन के श्रद्धा केन्ट * अध्यात्म जान PUS * धार्मिक क्षितिजांचलों के सक्षम सुयोग्य नेता * परमार क्षत्रियोद्धारक चारित्र चूडामणि विश्व विरल विभूति युगप्रधान संविज्ञ आद्याचार्य प.पू.दादा गुरुदेवके वाड्मय-विषयक संशोधन लक्षित महानिबन्ध के हार्दिक प्रेरणादाता इन सूरि पुंगव द्वय विकस्वर करनेवाले उदयाचल के रक्तिम रविराज * सर्व धर्म समन्वयी * अध्यात्म योगीराज एवं * जैन दिवाकर, शिशसम सरल * वात्सल्य वारिधे परम श्रद्वेय " आत्मानंदी अनुभवमे ला किक अध्यात्म किरणों के जनक परम श्रद्वय आचार्य प्रवर आचार्य प्रवर रामद विजय जनक चर कर कमला सूरीश्वरजी म.सा. श्रीमद् विजय इन्द्रदिन सूरीश्वरजी म.सा. डॉ. किरण यशाश्री जी Jan Education Intematighal For Private & Personal use only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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