Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 484
________________ व्याकरण के दार्शनिक ग्रन्थकार ४५६ टीकाकार १-दुर्बलाचार्य-दुर्बलाचार्य ने वैयाकरण सिद्धांतमंजूषा पर कुजिको नाम्नी एक टीका लिखी है। यह छप चुकी है। इसके विषय में इससे अधिक हम कुछ नहीं जानते। २-वैद्यनाथ-वैद्यनाथ पायगुण्ड ने वैयाकरणसिद्धांतमञ्जूषा ५ पर कला नाम की टीका लिखी है । यह टीका बालम्भट्ट के नाम से प्रसिद्ध है। इस टीका के प्रारम्भ में ___ 'पायगुण्डो वैद्यनाथभट्टः कुर्वे स्वबुद्धये।' स्पष्ट निर्देश होने से बालम्भट्ट वैद्यनाथ का ही नामान्तर प्रतीत होता है। - परिचय–वैद्यनाथ पायगुण्ड के विषय में हम प्रथम भाग के पृष्ठ ४६६ (च० सं०) पर लिख चुके हैं । वैद्यनाथ का काल सं० १७५०१८२५ वि. के मध्य है। वैद्यनाथ के पुत्र का नाम बालशर्मा था, और इसका शिष्य मन्नुदेव था । द्र०–प्रथम भाग, पृष्ठ ४६८ (च० सं०)। . १६-ब्रह्मदेव वैयाकरणसिद्धांतमञ्जूषा-का एक हस्तलेख मद्रास राजकीय हस्तलेख संग्रह के सूचीपत्र भाग ३ खण्ड १ A पृष्ठ २७०४ संख्या १९४७ पर निर्दिष्ट है । उसके रचयिता का नाम ब्रह्मदेव लिखा है । ___ यदि सूचीपत्रकार का लेख ठीक हो, तो वैयाकरणसिद्धान्तमञ्जषा नाम के दो ग्रन्थ मानने होंगे। एक नागेश कृत, दूसरा ब्रह्म- २० देव कृत। यह भी सम्भव है कि उक्त हस्तलेख नागेश की वैयाकरणसिद्धान्त मञ्जूषा की ब्रह्मदेव विरचित टीका का हो। इसका निर्णय मूल हस्तलेख के दर्शन से ही हो सकता है। . जगदीश तर्कालंकार (सं० १७१० वि०) . जगदीश तर्कालंकार भट्टाचार्य ने शब्दशक्तिप्रकाशिका नामक एक प्रौढ़ ग्रन्थ लिखा है। यद्यपि यह ग्रन्थ प्रधानतया न्यायशास्त्र का है, तथापि वैयाकरण-सिद्धान्त के साथ विशेष सम्बन्ध रखने के कारण हम इसका यहां निर्देश कर रहे हैं। ...

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