Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 508
________________ लक्ष्य प्रधान काव्यशास्त्रकार वैयाकरण कवि ४८३ 'इति भर्तृहरिकाव्यदीपिकायां जयमङ्गलाख्यायां । २–श्री कन्दर्पशर्मा लिखता है'अत्र तावन्महामहोपाध्याय श्रीभर्तृहरिकविना शब्दकाव्ययोलक्षणलक्षितानि...'' ३-भट्टचन्द्रिका का रचयिता विद्याविनोद लिखता है- ५ 'अत्र कविना श्रीधरस्वामिसूनुना भर्तृहरिणा सर्गबन्धो महाकाव्यलक्षणसूचनाय....। ४-व्याख्यासार नाम्नो टीका का अज्ञातनामा लेखक लिखता है'प्रथाशेषविशेषण बालान् व्युत्पिपादयिषुः श्रीमद्भर्तृहरिकृतस्य । रामायणानुयायि-भट्टयाख्याग्रन्थस्य.....'' ५-भट्टिबोधिनी टीका का लेखक हरिहर लिखता है'परिवृढयन् भर्तृहरिः काव्यप्रसंगेन....' । ६-मल्लिनाथ भी भट्टि काव्य को भर्तृहरि की रचना मानता है। इसी प्रकार अन्य टीकाकारों का भी यही मत है। ... भट्टिकाव्य के टीकाकारों के अतिरिक्त कतिपय ग्रन्थकारों ने भी १५ भट्टिकाव्य को भर्तृहरि के नाम से उद्धृत किया है । यथा ७–पञ्चपादी उणादि-वृत्तिकार श्वेतवनवासी लिखता है- क-तथा च भर्तृकाव्ये प्रयोगः-भुवनहितच्छलेन' (भट्टि १११) इति । उणादि २८०, पृष्ठ ८३।। ख-तथा च भर्तृकाव्ये प्रयोगः २० 'सम्प्राप्य तीरं तमसापगायाः गङ्गाम्बुसम्पर्कविशुद्धिभाजः' : (भट्टि ३।३६) इति । उणादि ३।१११, पृष्ठ १२६ । .. मा . १. इण्डिया आफिस लायब्रेरी सूचीपत्र, भाग १ खण्ड २ संख्या १२१ . के आगे। २. मद्रास राजकीय हस्तलेख संग्रह सूचीपत्र, भाग ६, पृष्ठ ७६६२० २५ संख्या ५७१२, ३. मद्रास राजकीय हस्तलेख संग्रह सूचीपत्र, भाग ६, पृष्ठ ७६६१, संख्या ५७१० ।

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