Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 520
________________ लक्ष्य-प्रधान काव्यशास्त्रकार वैयाकरण कवि . ४६५ व्याख्याकार-रामपाणिपाद मद्रास के सूचीपत्र में उक्त सव्याख्य घातुपाठ के व्याख्याता का नाम रामपाणिपाद निर्दिष्ट है। इससे अधिक नारायण कवि के धातुकाव्य के व्याख्याता के विषय में हम कुछ नहीं जानते। उपसंहार हमने 'संस्कृत व्याकरणशास्त्र का इतिहास' ग्रन्थ के द्वितीय भाग में संस्कृत शब्दानुशासनों से साक्षात् संबद्ध धातुपाठ, गणपाठ, उणादिपाठ, परिभाषापाठ, लिङ्गानुशासन तथा व्याकरणशास्त्र से सामान्यरूप से संबद्ध फिट सूत्र, प्रातिशास्य, दार्शनिक ग्रन्थ, लक्ष्य प्रधान काव्यों के १० प्रवक्ता, रचयिता और व्याख्याताओं का वर्णन किया है। इस प्रकार यह व्याकरणशास्त्र का इतिहास दो भागों में पूर्ण हया है। इस ग्रन्थ से सम्बद्ध अनेकविध परिशिष्टों का संग्रह तृतीय भाग में किया जायेगा।' इत्यजयमेरु (अजमेर) मण्डलान्तर्गत विरञ्च्यावासाभिजनेन . श्रीयमुनादेवीगौरीलालाचार्ययोरात्मजेन पदवाक्यप्रमाणज्ञ- १५ महावैयाकरणानां श्रीब्रह्मवत्ताचार्याणामन्नेवासिना भारद्वाजगोत्र-त्रिप्रवरेण वाजसनेय-चरणेन माध्यन्दिनिना युधिष्ठिर-मीमांसकेन विरचिते संस्कृत व्याकरण-शास्त्रेतिहासे द्वितीयो भागः पूर्तिमगात् । शुभं भवतु लेखकपाठकयोः ! १. यह तृतीय भाग इसी वर्ष (सं० २०३० में) प्रथम बार प्रकाशित हो रहा है।

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